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जानिए ईद पर क्यों खाई जाती है सेवई - कैसे हुई इसकी शुरुआत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 5 2019 9:05AM | Updated Date: Jun 5 2019 9:08AM
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ईद का इंतजार बुधवार को खत्म होने वाला है। पूरे देश में इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ईद के मौके पर सेवई का जिक्र न हो ये बात कुछ हजम नहीं होती। ईद पर बनने वाले पकवानों में सेवई सबसे खास होती है और देश भर में सेवई अलग-अलग स्टाइल से बनाई जाती है। ईद का ताल्लुक खुशी से है और सेवई का ताल्लुक मिठास से है। यही वजह है कि इस दिन सेवई से लोगों का मुंह मीठा किया जाता है।
 
दरअसल, सेवई का ताल्लुक मुगल काल के नूरजहां से है, जिन्होंने हिंदोस्तान में ईद पर सेवई बनाने का रिवाज बनाया। कहा जाता है कि सबसे पहली बार नूरजहां ने सेवई बनाने की शुरुआत की थी। जिसके बाद धीरे-धीरे मुगल सूबेदारों के साथ सन 1660 तक सेंवई पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गई। इस तरह धीरे-धीरे ईद का सेवई से खास रिश्ता हो गया। यूं तो ईद के दिन सेवई बनाने का रिवाज हिंदोस्तान में ही प्रचलित हुआ। हालांकि, ईरान में भी सेवई बनाई जाती है।
 
वैसे तो सेवई को आम तौर से शाही डिश मना जाता है, लेकिन इसकी पहुंच खास लोगों से लेकर आम लोगों तक है। पुराने दौर में इसे बनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी, सेवई हाथ से बनाई जाती थी, जिसकी क्वॉलिटी और लज्जत का कोई तोड़ नही थी। बदलते दौर के साथ ही मशीनों के इस्तेमाल ने इसका मजा जरा कम कर दिया है।
 
पुलाव सेवई: यह आमतौर पर उत्तर भारत में बनाई जाती है।
पुली सेवई: यह आमतौर पर पूर्वी भारत में बनाई जाती है।
पंजाबी सेवई: यह पंजाब और हरियाणा में बनाई जाती है।
सेवई उपमा: यह दक्षिण भारत में बड़े ही चाव से खाया जाता है।
 
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