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रविदास मंदिर तोड़ने के आदेश के खिलाफ केन्द्र का अपील नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण : शरद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 22 2019 5:51PM | Updated Date: Aug 22 2019 5:51PM
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पटना। लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के संरक्षक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव ने आज कहा कि दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित संत रविदास के 500 वर्ष पुराने मंदिर को तोड़ने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र सरकार की ओर से अपील नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण था। यादव ने कहा कि दिल्ली के तुगलकाबाद रोड स्थित करीब 500 साल पुराने संत रविदास मंदिर को तोड़ने का फैसला उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद लिया गया था लेकिन केन्द्र सरकार को इस फैसले पर अपील करनी चाहिए थी कि इस मंदिर से दलितों की श्रद्धा जुड़ी हुई है इसलिए इसे नहीं तोड़ा जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने ऐसा नहीं किया। लोजद नेता ने कहा कि वह संत रविदास मंदिर तोड़ने के प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में खड़े हैं। आज देश में जगह-जगह इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, जो दर्शाता है कि दलित भाई-बहन इससे कितने आहत हैं। उन्होंने कहा कि मान्यताओं के अनुसार संत रविदास जब बनारस से पंजाब की ओर जा रहे थे तब इसी स्थान पर 1509 में रूक कर उन्होंने आराम किया था। आजाद भारत में नये सिरे से यहां मंदिर का निर्माण 1954 में कराया गया।
 
यादव ने कहा कि उन्होंने संत रविदास के जीवन से बहुत कुछ सीखा है । उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस मामले में तुरंत उच्चतम न्यायालय में अपील करे ताकि अभी जो तनाव की स्थिति बनी है उसे शांत किया जा सके और जिससे दलित भाई-बहनों का पुन: प्रजातंत्र में विश्वास स्थापित हो सके। 
 
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