हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ब्लैक कार्बन एयरोसोल मापन यंत्र स्थापित किया गया है जिससे हवा में मौजूद ब्लैक कार्बन की मात्रा मापने के अलावा वायु प्रदुषण का कृषि पर प्रभाव का अध्यन्न किया जा सकेगा। ब्लैक कार्बन एयरोसोल की स्थापना मौसम विभाग के सहयोग से की गई है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति के.पी. सिंह और मौसक विज्ञान विभाग के महानिदेशक के. जे. रमेश भी उपस्थित थे। दोनों अधिकारियों के बीच उपपक्षीय सम्बंधों को मजबूत करने को लेकर एक समझौते पर ही हस्ताक्षर किये गये। प्रो. सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि ब्लैक कार्बन ईंधन, लकड़ी और अन्य औद्योगिक ईकाइयों और वाहनों में ईंधन जलने से उत्सर्जित कणिकीय पदार्थ जो वायुमंडल का तापमान बढ़ाता है तथा इसका फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि ब्लैक कार्बन का फसलों के साथ मानव और जीव जंतुओं पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में मौसम विज्ञान विभाग के साथ मिलकर सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में ऐसी लैब विकसित की जाएगी जिससे पूरे राज्य का डाटा विश्लेषण किया जा सकेगा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मौसम की सटीक जानकारी तथा कृषि सलाह किसानों तक समय पर पंहुचाने पर बल दिया और वैज्ञानिकों का आहवान किया कि बदलते मौसम के अनुसार फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जाएं जो अधिक तापमान में भी अधिक उत्पादन दे सकें।
डा. रमेश ने कहा कि ब्लैक कार्बन वायुमंडल में स्थिर रहने वाला एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है। यह वातरवरण के लिए काफी नुकसानदायक होता है। यह जलवायु, हिमनद क्षेत्रों, कृषि पर प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव डालता है। यह बादल निर्माण के साथ वर्षा को भी प्रभावित करता है। ब्लैक कार्बन पृथ्वी पर सूर्य ताप में कमी लाता है। उन्होंने विश्व मौसम विज्ञान संस्थान की एक रिर्पोट का हवाला देते हुए कहा कि ब्लैक कार्बन और ओजोन से मानसून की बारिश के वितरण पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर भी ब्लैक कार्बन एरोसोल मापन केन्द्र स्थापित करने की योजना है जिससे ब्लैक कार्बन का सटीक डाटा मिल सकेगा तथा सरकार को इसे कम करने के लिए योजना बनाने में सहयोग दिया जा सकेगा।