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लोकतंत्र सेनानी, पत्नी को मिलेगी पांच लाख रूपए तक चिकित्सा सहायता : खट्टर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 26 2019 5:55PM | Updated Date: Jun 26 2019 5:57PM
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चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के लोकतंत्र सेनानी या उनकी पत्नी के ईलाज के लिए पांच लाख रुपये सालाना तक की सरकारी सहायता की घोषणा की है जिसके तहत स्वयं लोकतंत्र सेनानी और उसकी पत्नी को चिकित्सा के लिए सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में होने वाले पांच लाख रुपये तक का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। खट्टर ने यहां टैगोर थियेटर में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले सत्याग्रहियों के लिए आयोजित राज्य स्तरीय लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह में प्रदेशभर से आए सेनानियों को सम्बोधित करते हुये यह घोषणा की।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के पहचान पत्रों पर आपातकाल पीड़ति शब्द दुरुस्त कर लोकतंत्र सेनानी लिखा जाएगा ताकि वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस करें। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल, हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा,  हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, चंडीगढ़ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश भर से आए लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करने के बाद कहा कि राज्य सरकार ने आपातकाल के दौरान सत्याग्रह आंदोलन में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों को 10 हजार रूपए प्रति माह पेंशन तथा हरियाणा परिवहन की बसों में लोकतंत्र सेनानी और उसके एक सहायक को निशुल्क बस यात्रा की सुविधा प्रदान की है। लोकतंत्र की रक्षा एवं सुरक्षा की आवाज बुलंद करने वाले इन सेनानियों को गत 26 जनवरी 2019 को ताम्रपत्र देकर सम्मानित भी किया गया था। उन्होंने घोषणा की कि अब हरियाणा सरकार द्वारा ‘लोकतंत्र सेनानियों’ का 5 लाख रूपए प्रति वर्ष तक इलाज का खर्च उठाया जाएगा।

उन्होंने आपातकाल को लेकर कहा कि आज से ठीक 44 साल पहले एक काली रात आई थी, उस समय लोगों को यह एहसास हुआ होगा कि पता नहीं सुबह होगी भी या नहीं होगी और देशभर के लाखों लोगों को जेलों में डाल दिया गया। इसका कारण यह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी गद्दी बचानी थी। उन्होंने कहा कि 12 जनवरी 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने रायबरेली में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन  को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरूद्ध फैसला दिया था।

ऐसी स्थिति में श्रीमती गांधी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन उनके पुत्र संजय गांधी ने उन्हें सत्ता नहीं छोड़न के लिए कहा और इस कारण से धारा-352 का इस्तेमाल कर 25 जून 1975 की रात 11 बजकर 45 मिनट पर आपातकाल की घोषणा कर दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल लगने के समय देश को आजाद हुए लगभग 28 वर्ष हो चुके थे। बैठकों और सभाओं के साथ-साथ मीडिया को भी सेंसर कर दिया गया तथा प्रमुख लोगों को पकड़ लिया गया।

उन्होंने आपबीती सुनाते हुये कहा कि आपातकाल के दौरान वह दिल्ली के रानीबाग में रहते थे और उस समय भारत माता की जय नहीं बोल सकते थे और यदि कोई बोलता था तो उसे जेल में डाल दिया जाता था और यातनाएं दी जाती थी। उन्होंने इस मौके पर एक शुभ्र ज्योत्सना पुस्तक का भी विमोचन किया और कहा कि इसमें लोकतंत्र सेनानियों से जुड़ी घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है जिन्हे याद रखना चाहिए क्योंकि ये प्रेरणादायक होती है।

उन्होंने कहा कि आपातकाल के पश्चात देश में चुनाव हुआ और जनता पार्टी को दो तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ अर्थात जनता वास्तव में अपनी आजादी चाहती थी इसलिए उसने जनता पार्टी को चुना। उन्होंने कहा कि आपातकाल की स्थिति की वजह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्तित्व आज देश में हैं और यही वजह है कि उस समय की परिस्थितियों के कारण वह स्वयं संघ के साथ जुड़े और देश सेवा में स्वयं को जोड़े रखा। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी से  परिवर्तन होते हैं।

उन्होंने स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्ता का खेल चलेगा, सरकार आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेगी-बिगड़ेंगी, परंतु देश रहना चाहिए और लोकतंत्र बचना चाहिए। इस अवसर पर मुख्य सचिव डी. एस. ढेसी और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर ने शायरी अंदाज में आपातकाल जैसी परिस्थितियों का जिक्र किया। 

 
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