अगरतला। त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल आदिवासियों से संबद्ध इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा की केंद्रीय समिति की बैठक रविवार को जिरानिया उपमंडल में हुई जिसमें राज्य में पार्टी के भविष्य की रणनीति और सरकार में उनकी भूमिका पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के मंत्रिमंडल में दो मंत्री एवं सरकार में साझेदार होने के बावजूद आईपीएफटी ने लोकसभा चुनाव दोनों सीटों पर अलग से लड़ा हालांकि उनके उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गयी। राजस्व मंत्री एवं आईपीएफटी के अध्यक्ष एनसी देववर्मन पूर्वी त्रिपुरा से हार गये जबकि विधायक ब्रिशकेतु देववर्मन पश्चिम त्रिपुरा से चुनाव हारे। इस बीच, मुख्यमंत्री ने संकेत दिये हैं कि वे आईपीएफटी से अलग नहीं होंगे बावजूद इसके कि आईपीएफटी उसके के खिलाफ चुनाव लड़ा, पार्टी नेतृत्व ने आईपीएफटी से संबंधों को खत्म करने का विचार दिया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का तर्क है कि आईपीएफटी ने साझेदार के रूप में दो मंत्री पद और विभिन्न निगमों के कम से कम 12 अध्यक्ष पदों को प्राप्त कर लिया है, अगर गठबंधन को खत्म कर दिया जाए तो कम से कम पांच मंत्रियों और विभिन्न निगमों के 12 अध्यक्षों के पदों को भाजपा नेताओं से भरा जा सकता है और इस चुनाव के बाद आईपीएफटी से अलग होने के पर्याप्त कारण हैं। यह साबित हो गया है कि उनका कोई जनाधार नहीं है बल्कि भाजपा की मेहनत का फल खा रहे हैं जिसकी अनुमति वे नहीं देंगे। गौरतलब है कि राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए गत चुनाव में भाजपा को 36 और आईपीएफटी को आठ सीटें मिली थी।