चंडीगढ़। पिछले सप्ताह एक दुर्घटना में अपने जवान बेटे को खोने वाले एक पिता ने एक ऑनलाइन याचिका दाखिल कर हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की सुरक्षा निश्चित करने की गुहार लगाई है। चंडीगढ़ निवासी इंदरबीर सिंह सोबती ने चेंज डॉट ओआरजी पर प्रधानमंत्री के नाम डाली याचिका में कहा है कि उनके बेटे अमनदीप सिंह को जब बेहद आवश्यकता थी चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाईं। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके 23 वर्षीय बेटे की जान मनाली की सलोंग घाटी में पैराग्लाईडिंग संचालकों की प्रबंधकीय लापरवाही के कारण गई। दोस्तों के साथ मनाली गये अमनदीप ने सोलांग घाटी में पैराग्लाईडिंग सैर का फैसला किया। वह गिर पड़ा और उसकी पसलियां टूट गईं। दुर्घटना में पायलट भी घायल हुआ था। पर सबसे सदमाजनक बात थी कि घटनास्थल पर कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
निकटतम प्रथमोपचार की सुविधा दस किलोमीटर की दूरी पर उपलब्ध थी। अस्पताल ले जाते समय उनके बेटे ने दम तोड़ दिया। सोबती के अनुसार ऐसे कई पैराग्लाईडिंग हादसे अतीत में भी हुए हैं और निर्दोष लोगों की जान गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री के अलावा पर्यटन मंत्रालय, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, पर्यटन विभाग और हिप्र पर्यटन विकास निगम से अपील की है कि सोलांग घाटी में पैराग्लाईडिंग स्थल पर इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं एवं ट्रामा केयर सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसीके साथ उन्होंने लगातार हो रहे पैराग्लाईडिंग हादसों के कारण जानने और ऐसे हादसे भविष्य में रोकने के उपाय करने की भी अपील की है।
उनकी मुख्य मांगों में पैराग्लाईडिंग, रोपवे और अन्य ऐसी सेवाएं मुहैया कराने वाले एजेंटों पर बचाव सुविधाओं एवं दिशानिर्देशों के पालन के लिए दबाव डालकर सुनिश्चित कराना, स्थल पर सरकारी अधिकारियों की निगरानी में प्रबंधन की तरफ से ट्रामा एंबुलेंस और प्रथमोपचार की सुविधाएं मुहैया कराना, ठेके पर पर्याप्त दक्षता न होने वाले पायलटों के बजाय प्रशिक्षित पायलटों की सेवाएं लेना और एजेंटों की जवाबदेही तय करना है। सोबती ने याचिका में भावुक अपील में कहा है कि जो मर चुके हैं उन्हें वापस लाना तो संभव नहीं है पर आवाज उठाकर अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की मांग तो की ही जा सकती है कि भविष्य में किसीकी जान न जाए और किसी परिवार को उस दर्द से न गुजÞरना पड़े जो उनके परिवार ने झेला है। याचिका पर उन्होंने हजार हस्ताक्षर चाहे हैं जिसमें से छह सौ से अधिक लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं।