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कुश्ती महासंघ ने सुशील की ट्रायल टालने की मांग ठुकराई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 3 2020 12:15AM | Updated Date: Jan 3 2020 12:15AM
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नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ ने दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार की हाथ की चोट के कारण पुरुषों के 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में ट्रायल टालने की मांग ठुकरा दी है। स्टार पहलवान सुशील हाथ की चोट के कारण शुक्रवार को दिल्ली स्थित केडी जाधव कुश्ती स्टेडियम में होने वाले ट्रायल से हट गए हैं और उन्होंने अपने वजन वर्ग में ट्रायल स्थगित करने का आग्रह फेडरेशन को किया था और साथ ही मेडिकल सर्टिफिकेट फेडरेशन को भेजा था।
 
सुशील ने कहा था कि वह अभी तक अपनी चोट से उबर नहीं पाए हैं। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने जोर देकर कहा है कि ट्रायल सभी वजन वर्गों में कराया जाएगा जिसमें पुरुष फ्रीस्टाइल में पांच ओलम्पिक वर्ग और ग्रीको रोमन में छह वर्ग शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि ट्रायल्स टाले नहीं जाएंगे क्योंकि फेडरेशन के पास 74 किग्रा में लड़ने वाले अच्छे पहलवान हैं। सुशील अगर चोटिल हैं तो क्या किया जा सकता है।
 
ट्रायल में विजेता रोम में 15-18 जनवरी तक होने सत्र के पहले रैकिंग टूर्नामेंट, दिल्ली में 18-23 फरवरी तक होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और चीन में 27 से 29 मार्च तक होने वाले एशियाई ओलम्पिक क्वालिफायर के लिए भारतीय टीम में जगह बनाएंगे। फेडरेशन ने साथ ही कहा कि 74 किग्रा में विजेता का प्रदर्शन देखा जाएगा जिसके बाद ही सुशील को मार्च में होने वाले एशियाई ओलम्पिक क्वालिफायर में मौका देने के बारे में कोई फैसला किया जाएगा।
 
फेडरेशन ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक के लिए एशियन क्वॉलिफायर्स में यदि उसके पास मजबूत दावेदार नहीं होता है, तो वह सुशील को ट्रायल्स के लिए बुला सकता है। पुरुष फ्रीस्टाइल में रवि दहिया (57 किग्रा), बजरंग पुनिया (65 किग्रा) और दीपक पुनिया (86 किग्रा) तथा महिला वर्ग में विनेश फोगाट (53 किग्रा) नूर सुल्तान में विश्व चैंपियनशिप में टोक्यो ओलम्पिक के लिये कोटा हासिल कर चुके हैं। सुशील विश्व चैंपियनशिप के पहले राउंड में हार गए थे।
 
रवि, दीपक और विनेश को ट्रायल्स में भाग लेने के लिये कहा गया है। इन वर्गों के लिये मुकाबला केवल रोम और दिल्ली प्रतियोगिताओं के लिये होगा। बजरंग को उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ट्रायल से छूट दी गयी है। महिला ट्रायल शनिवार से लखनऊ में होंगे। उल्लेखनीय है कि रियो ओलंपिक से पहले नरसिंह यादव के साथ हुए विवाद के चलते भारत कोटा मिलने के बाद भी 74 किग्रा में अपना पहलवान नहीं उतार पाया था। इसके बाद सुशील ने साल 2018 में दोबारा से वापसी की और 2018 में ही हुए गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन इसके बाद 2018 में हुए एशियाई खेलों में वह शुरुआत में ही बाहर हो गए थे।
 
सुशील ने 2019 में हुई विश्व चैंपियनशिप के लिए दिल्ली में हुआ ट्रायल जीता लेकिन वह विश्व चैंपियनशिप के पहले दौर में ही बाहर हो गए। विश्व चैंपियनशिप टोक्यो ओलम्पिक का पहला ओलंपिक क्वॉलिफाइंग इवेंट था। विश्व चैंपियनशिप के बाद से ही सुशील के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने इसके बाद किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया और राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी नहीं उतरे। उनकी गैर-मौजूदगी में 18 साल के गौरव बालियान 74 किग्रा में अच्छे पहलवान के रूप में उभर कर सामने आये हैं। भारतीय पुरुष पहलवान अभी भी 74, 97, और 125 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्गों में क्वॉलिफाई कर सकते हैं। महिलाओं में विनेश को छोड़कर अभी तक कोई भी महिला पहलवान ओलंपिक कोटा नहीं जीत पाई है। ग्रीको-रोमन में अभी तक कोई भी भारतीय टोक्यो ओलंपिक का कोटा नहीं हासिल कर पाया है।
 
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