नई दिल्ली। इंटेल इंडिया और नॉसकॉम फाउंडेशन द्वारा वंचित समुदायों की लड़कियों को समाधान प्रदाता बनने के लिए प्रेरित करने और उन्हें सेल्फ लर्निंग एवं इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित कर टेक्नोलॉजी को करियर के विकल्प के रूप में अपनाने के लिए बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित गर्ल्स इनोवेट फॉर टुमॉरो में 81 लड़कियों द्वारा पेश 15 आधुनिक समाधानों को मेंटरिंग के लिए चयन किया गया है। इसके तहत पांच अलग हैकाथॉन का आयोजन किया गया जिसमें 12 स्कूलों एवं गैर लाभकारी संगठनों से जुड़ी 742 लड़कियों ने भाग लिया। शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में इनमें से 81 लड़कियों द्वारा पेश किए गए 15 आधुनिक समाधानों को मेंटरिंग सत्रों के लिए चुना गया।
इन लड़कियों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधरित एक महीने तक प्रशिक्षण एवं मेंटरशिप का मौका मिलेगा। इन लड़कियों कके चयनित समाधानों में घर में पानी के इस्तेमाल पर निगरानी और नियंत्रण, ड्राइवर के नींद में होने पर निगरानी, मौसम की मॉनिटरिंग एवं अलार्म सिस्टम, बुजुर्गों/ दिव्यागों के लिए अनुकूल होम मॉनिटरिंग सिस्टम, स्वचालित नदी स्वच्छता प्रणाली, गैस सिलिंडर प्रबंधन, स्वचालित रीफिल ऑर्डर और मॉनिटरिंग, खेती के स्वचालित समाधान जैसे बीज बोना और जुताई तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलार्म सिस्टम आदि शामिल है।
इंटेल इंडिया के कार्पोरेट मामलों की निदेशक श्वेता खुराना ने कहा कि गर्ल्स इनोवेट फॉर टुमॉरो एक विशेष पहल है जिसमें लड़कियों को अपने समुदायों में आस-पास की चुनौतियों को पहचानने, उन्हें हल करने, उनके बारे में विचार करने और उनका समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इस तरह के प्रोग्राम समाज में मौजूद पक्षपात को दूर करने में महत्वपूर्ण हो सकते है और ये महिलाओं को तकनीक संबंधी अध्ययनों एवं इंजीनियरिंग के साथ बेहतर फैसला लेने में सक्षम भी बना सकते हैं।
इंटेल इण्डिया उन महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए तत्पर है जिन्हें अक्सर अवसरों से वंचित रखा जाता है और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भी उनके साथ सामाजिक एवं लिंग भेदभाव किया जाता है। नॉसकॉम फाउन्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक पमिदी ने गर्ल्स इनोवेट फॉर टुमॉरो जैसे प्रोग्राम समाज में लिंग समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आज भारत के इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कियों की संख्या 30 फीसदी से भी कम है। यह ज़रूरी है शुरूआती अवस्था से ही टेक्नोलॉजी में लड़कियों की रूचि पैदा हो और उन्हें अपनी रूचि के अनुसार टेक्नोलॉजी को करियर के विकल्प के रूप में अपनाने का मौका मिले। इससे टेक्नोलॉजी उद्योग में लिंग की दृष्टि से मौजूद अंतर दूर होगा।