नई दिल्ली। भारत का गैर बैंकिंग सेक्टर (एनबीएफसी) और हाउसिंग फायनेंस कंपनियां (एचएफसी) गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही हैं। फंड की कमी के कारण हालात और भी खराब हो हो गए हैं। आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने कंपनी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर मौजूदा स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है।
डीईए ने अपने पत्र में इस स्थिति से बचने के लिए बाजार में अविलंब अतिरिक्त फंड मुहैया कराने की बात कही है। उसने कंपनी मामलों के मंत्रालय को 26 अक्टूबर को चिट्ठी लिखी थी। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर लिजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के डिफॉल्ट घोषित होने के बाद वित्तीय स्थायित्व पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा की गई है। बता दें कि आईएल एंड एफएस 91,000 करोड़ रुपए का लोन चुकता करने में विफल रही थी, जिसके बाद वित्तीय स्थायित्व को बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार को दखल देना पड़ा था। केंद्र ने आईएल एंड एफएस के बोर्ड को भंग कर नया बोर्ड भी गठित कर दिया है।
डीईए ने रिपोर्ट में कहा कि पैसों की किल्लत को दूर न करने से आर्थिक विकास पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ेगा। बता दें कि कंपनी मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी भी वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास है। जोखिम वाले कर्ज (एनपीए) की समस्या को देखते हुए आरबीआई ने लोन देने और वसूली के मानक बेहद सख्त कर दिए हैं। इसके कारण बैंकिंग सेक्टर भी सतर्क हो गया है और कर्ज देने में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। खासकर कमजोर वित्तीय स्थिति वाले बैंकों के लिए कर्ज देना और कठिन हो गया है।