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रुपए पर लगाम हमारा काम नहीं, यह बाजार पर निर्भर : आरबीआई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 7 2018 10:39AM | Updated Date: Oct 7 2018 10:40AM
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मुंबई। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इस बीच रिजर्व बैंक ने इससे खुद को अलग कर लिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि रुपए की विनिमय दर बाजार की ताकतों से तय होती है और रिजर्व बैंक इसका कोई दायरा तय नहीं कर सकता है। मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखकर बाजार को चौंकाने वाले गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति पर केंद्रित था। रुपया शुक्रवार को 19 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले सर्वकालिक निम्न स्तर 73.77 के स्तर पर बंद हुआ। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से यह दिन के कारोबार के दौरान पहली बार 74 के पार चला गया था।
 
पटेल का बयान बताता है कि सेंट्रल बैंक रुपए का बचाव करने की बजाय, महंगे डॉलर को आयात में कमी और निर्यात को वृद्धि के रूप में देखता है, जिससे स्थिरता आएगी। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी इस नजरिए का समर्थन करते हुए कहा कि विनिमय दर यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि अर्थव्यवस्था झटकों को कैसे सहन करेगा।
 
पटेल ने डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट को अधिक महत्व ना देते हुए कहा अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बेहतर है। उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी से रुपया 17 प्रतिशत टूट चुका है। पटेल ने इस बात को स्वीकार किया कि बाहरी कारकों के प्रभाव से भारत बच नहीं सकता। पटेल ने रुपए के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों के लिए हमारी प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करने की है कि विदेशी विनिमय बाजार में तरलता कायम रहे और कोई बेवजह का उतार-चढ़ाव नहीं हो।
 
पटेल ने कहा कि रुपए की विनिमय दर बाजार की ताकतों से तय होती है और गवर्नर ने कहा यह भी कहा कि सितंबर के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार 400.5 अरब डॉलर पर था, जो दस माह के आयात के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। साथ ही वित्त वर्ष के दौरान दरों में कटौती की संभावना को भी नकार दिया है। यथास्थिति का बचाव करते हुए पटेल ने कहा यह याद करें कि दो माह में हमने दो बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं। हमारे लिए प्रत्येक बैठक में नीतिगत दर बढ़ाना जरूरी नहीं है। मुद्रास्फीति संबंधी हमारे अनुमानों के हिसाब से अभी इसकी जरूरत नहीं है।
 
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