नई दिल्ली। इस्पात मंत्रालय ने इस उद्योग में अच्छा नवाचार करने वालों को पुरस्कृत करने की गुरुवार को घोषणा की तथा प्रस्ताव किया है कि इस्पात क्षेत्र से पद्म पुरस्कारों के लिए मंत्रालय की अनुशंसा के साथ नाम भेजे जाने चाहिए। इस्पात मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने यहां वर्ष 2016-17 के द्वितीयक इस्पात उद्योग पुरस्कारों के वितरण के बाद कहा कि इस्पात उद्योग में किसी भी पेटेंटेड नवाचार या अनुसंधान के लिए पुरस्कार की स्थापना की जाएगी। उन्होंने इसके लिए 'नवाचार अग्रदूत पुरस्कार' नाम का सुझाव दिया है।
द्वितीयक इस्पात उद्योग क्षेत्र के लिए आज पहली बार कंपनियों को पुरस्कृत किया गया तथा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2017-18 के लिए दूसरे पुरस्कारों के लिए अक्टूबर में नाम आमंत्रित किया जाएंगे। गुरुवार को 12 कंपनियों को गोल्ड श्रेणी में और 14 को सिल्वर श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा कई अन्य कंपनियों को प्रशस्ति पत्र दिए गए। सिंह ने सुझाव दिया कि खेल की तरह ही इस्पात क्षेत्र से भी यदि किसी का नाम पद्म पुरस्कारों के लिए भेजा जाता है तो मंत्रालय को भी इसकी सूचना दी जानी चाहिए ताकि मंत्रालय उस पर अपनी अनुशंसा दे सके।
सिंह ने कहा कि यह पुरस्कार द्वितीयक इस्पात उद्योग को एक प्रकार की मान्यता है जिसकी इस्पात उत्पादन में 57 प्रतिशत हिस्सेदारी है। देश की इस्पात उत्पादन क्षमता वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें द्वितीयक इस्पात क्षेत्र का योगदान 70 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
अभी देश में हर साल 13.4 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि उत्पादन करीब 17 करोड़ टन बढ़ाने के लिए 12 साल में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी। इसमें मुख्य रूप से मशीनरी और प्रौद्योगिकी पर खर्च करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में इस्पात पर मेगा कॉन्क्लेव होने वाला है। इसमें सरकार अंतरराष्ट्रीय मशीनरी निर्माताओं को भारत में ही मशीनरी बनाने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करेगी।
मंत्री ने की संयंत्रों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की अपील
मंत्री ने इस्पात उद्योग से संयंत्रों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपना उत्सर्जन, कूड़ा और नुकसान शून्य करने की दिशा में बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पानी और ऊर्जा की खपत तथा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना चाहिए। उन्होंने इस उद्योग में पिछले कुछ दिनों में ठहराव के बारे में कहा कि कुछ चीजें राज्यों से जुड़ी हैं - जैसे, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति। इसके अलावा रेलवे के पास माल ढुलाई के लिए रैकों की भारी कमी के कारण इस्पात क्षेत्र को कच्चे माल की आपूर्ति बाधित हो रही है। इस क्षेत्र के लिए जरूरी कच्चे माल रेल मार्ग से ही लाए-ले जाए जा सकते हैं।