नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं हैं। केंद्र सरकार और कुछ राज्य तेल पर टैक्स कम करने के लिए तैयार नहीं हैं। सोमवार को एक टॉप अफसर ने पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती की संभावना से साफ इनकार किया क्योंकि ऐसा फैसला कर केंद्र और कुछ राज्य अपने राजस्व का नुकसान नहीं करना चाहते हैं।
नाम जाहिर न होने की शर्त पर सरकारी अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती करने के फैसले का राजकोषीय घाटे पर असर होगा। यही नहीं, बिहार, केरल और पंजाब जैसे राज्य भी सेल्स टैक्स (या वैट) घटाने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें घटेंगी और दबाव कुछ कम होगा।
आपको बता दें कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से भी तेल की कीमतें रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। सरकार के एक बड़े अधिकारी का यह बयान ऐसे दिन आया है जब कई विपक्षी पार्टियों ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया है। दिल्ली में तेल की कीमतें मेट्रो और कई राज्यों की राजधानी की तुलना में कम हैं क्योंकि यहां वैट कम है।
दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल अब तक के उच्चतम स्तर 80.73 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया जबकि डीजल भी 72.83 रुपए प्रति लीटर के रेट पर बिक रहा है। अधिकारी ने कहा कि ग्राहकों को अपने इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन के लिए भुगतान करना ही होगा। हालांकि राजस्थान ने रविवार को पेट्रोल और डीजल पर वैट में 4 फीसदी कटौती की घोषणा की है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने सोमवार को कहा कि सेल्स टैक्स में कटौती से तेल की कीमतें 2 रुपए कम हो जाएंगी। अधिकारी ने कहा तेल पर टैक्स कम करने से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है। करों में कटौती से आपको विकास खर्चों के लिए बजट घटाना होगा। आॅइल टैक्स कट से वास्तव में ये नतीजे सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार राहत तभी दे सकती है जब वित्त मजबूत हो।