मुंबई। पब्लिक सेक्टर के विजया बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग को दिए गए कर्ज को जनवरी-मार्च 2018 तिमाही में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित किया है। रिलायंस नेवल के आॅडिटर्स ने हाल में कंपनी का वजूद बने रहने को लेकर आशंका जाहिर की थी। पहले इस कंपनी का नाम पिपावाव डिफेंस एंड आॅफशोर इंजीनियरिंग था। इसे अनिल अंबानी ग्रुप ने 2016 में खरीदा था और उसके बाद इसका नाम बदलकर रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग किया गया था। इस कंपनी पर दो दर्जन बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। उसे सबसे अधिक कर्ज आईडीबीआई बैंक ने दिया है। कंपनी को अधिकांश लोन सरकारी बैंकों ने दिया है।
बेंगलुरु के विजया बैंक ने बताया कि 12 फरवरी को रिजर्व बैंक के एनपीए रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क में बदलाव करने की वजह से उसे रिलायंस नेवल को दिए कर्ज को एनपीए कैटेगरी में डालना पड़ा। 12 फरवरी के निर्देश में आरबीआई ने सभी तरह की रिस्ट्रक्चरिंग पर रोक लगा दी थी और उसने बैंकों से कहा था कि कंपनी के एक दिन का भी डिफॉल्ट करने पर वे उसके रिजॉल्यूशन प्लान पर काम शुरू करें। आरबीआई ने कहा था कि अगर डिफॉल्ट करने वाली कंपनी उसके बाद 180 दिनों में बकाया रकम का भुगतान नहीं करती तो बैंक पैसे की वसूली के लिए दिवालिया अदालत जाएं।
रिलायंस नेवल सहित कुछ कंपनियों को कई बैंकों ने एसडीआर और एस4ए जैसी रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम में डाल रखा था। विजया बैंक के एक बड़े अधिकारी ने वीकेंड पर बेंगलुरु से बताया, 'रिलायंस नेवल एसडीआर के तहत थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया था। इसलिए मार्च तिमाही में इसे दिया गया कर्ज एनपीए कैटेगरी में डालना पड़ा।' उन्होंने बताया कि विजया बैंक ने इस लोन एकाउंट के लिए मार्च क्वॉर्टर में पर्याप्त प्रोविजनिंग की।
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इसके लिए कितनी रकम बैंक ने अलग रखी है। वहीं, इस बारे में कंपनी को ईमेल भेजकर पूछे गए सवालों का भी जवाब नहीं मिला। रिलायंस नेवल अनिल अंबानी ग्रुप की दूसरी कंपनी है, जिसे दिया गया कर्ज एनपीए में बदल गया है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले ही दिवालिया हो चुकी है और उसका मामला मुंबई की एनसीएलटी बेंच के सामने है। रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 31 बैंकों के 45 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। वहीं, रिलायंस नेवल पर 8,753.19 करोड़ रुपये का कर्ज मार्च 2017 तक था।