नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय फार्मा के वैश्विक विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि इसके लिए दवा उद्योग को गुणवत्ता एवं किफायती कीमत पर ध्यान देना चाहिए। प्रभु ने यहां 'छठी वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय दवा एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रदर्शनी' का उद्घाटन करने के बाद कहा कि सरकार भारतीय दवा उद्योग को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय दवा उद्योग को नए बाजारों तक ले जाने का प्रयास कर रही है। ये क्षेत्र अफ्रीकी और दक्षिणी अमेरिकी देश हैं। इन देशों में उत्पाद की कीमत बहुत महत्व रखती हैं। इसके अलावा इन देशों के बाजारों में यूरोप और अमेरिकी दवा कंपनियों का आधिपत्य हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि चीन ने भी भारतीय दवा कंपनियों के लिए अपना बाजार खोलने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होेंने जोर देकर कहा कि नए बाजारों में गुणवत्ता और किफायती कीमतों का बहुत महत्व हैं। इसलिए भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और कीमतें कम रखने पर ध्यान देना चाहिए।
130 देश ले रहे हैं हिस्सा
प्रदर्शनी में 130 देशों के 650 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैंं। इनमें कई देशों के दवा नियामक भी शामिल हैं। श्री प्रभु ने वैश्विक दवा कारोबारी कंपनियों और नियामकों को भारतीय दवाओं की गुणवत्ता और किफायती कीमत के संंबंध आश्वस्त करते हुए कहा कि नए बाजार खोजने की जरुरत है। अफ्रीका जैसे बाजार में किफायती कीमतें बहुत महत्व रखती हैं और भारतीय कंपनियां इसे पूरा सकती हैं।
जीनोमिक्स है नया क्षेत्र
उन्होेंने प्रतिस्पर्धात्मक और पूरक बाजार रणनीति पर जोर देते हुए कहा कि इससे प्रत्येक फार्मा क्षेत्र को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि दवा कंपनियों को परंपरागत और बचाव करने वाली दवाएं निर्मित करने पर बल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'जीनोमिक्स' एक नया क्षेत्र है जिसमें भारतीय दवा कंपनियों के लिए असीम संभावनाएं हो सकती हैं। इस अवसर पर वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने कहा कि फार्मा क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए एकरुपता के प्रयास किये जा रहे हैं।