नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर परिषद् ने जीएसटीएन की शेयरधारिता में बदलाव करके इसे सरकारी कंपनी बनाने पर शुक्रवार को अपनी मुहर लगा दी। जीएसटी परिषद् की यहां हुई बैठक में यह फैसला लिया कि जीएसटीएन की 51 फीसदी हिस्सेदारी, जो फिलहाल गैर सरकारी संस्थानों के पास है, उसे केंद्र और राज्य सरकार को दिया जायेगा। जीएसटीएन का गठन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में 28 मार्च 2013 को कंपनी अधिनियम की धारा आठ के तहत किया गया था। इस उद्देश्य देश में जीएसटी लागू करने में केंद्र एवं राज्यों सरकारों के साथ करदाताओं और अन्य हितधारकों को साझी आईटी संरचना और सेवा उपलब्ध कराना है।
फिलहाल जीएसटीएन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के पास 24.5-24.5 प्रतिशत की बराबरर हिस्सेदारी है और शेयर 51 फीसदी हिस्सेदारी गैर सरकारी संस्थानों की है। जीएसटीएन पंजीकरण, रिटर्न फाइंिलग, कर भुगतान, रिफंड प्रक्रिया को देखती है और लाखों कारोबारों के आयात- निर्यात समेत कई आंकड़े इसकी निगरानी में हैं जिसे देखते हुए जीएसटी परिषद् ने इसे पूर्णत: सरकारी कंपनी बनाने को अपनी मंजूरी दी है।
परिषद् ने कहा कि जीएसटीएन बोर्ड मौजूदा कर्मचारियों को मौजूदा नियमों एवं शर्तों के आधार पर पांच साल तक के लिए रख सकती है। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कांफ्रेंंिसग के जरिये परिषद् की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की। परिषद् ने रिटर्न भरने के लिए नया सरल फार्म जारी किया है जिसके तहत करदाता को एक महीने में एक ही रिटर्न भरना होगा। हालांकि इस प्रक्रिया को अस्तित्व में आने में छह महीने लग जाएंगे और इस दौरान वर्तमान व्यवस्था बनी रहेगी।