नई दिल्ली। इस साल की पहली तिमाही में सोने की मांग में गिरावट देखने को मिली है। पहली तिमाही में ये गिरावट काफी ज्यादा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने इस बात की जानकारी दी है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2018 की पहली तिमाही में सोने की मांग 10 साल में सबसे कमजोर रही है।
सोने की मांग में रिकॉर्ड गिरावट
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 के जनवरी से मार्च महीने के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 973.5 टन रहा। वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में 7 फीसदी की कमी आई है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि साल 2008 के बाद किसी साल की पहली तिमाही में सोने की मांग में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में खुलासा: सोने की मांग में गिरावट को लेकर वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मार्केट इंटेलिजेंस के प्रमुख एलिस्टेयर हेविट ने कहा कि सोने के दाम का असर निश्चित तौर पर निवेशकों के ऊपर होगा। निवेश की मांग में कमी आने से यह सोने में ये गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक सोने के बार और सिक्कों के अलावा गोल्ड-समर्थित एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश कम होने की वजह से इसकी मांग में गिरावट आई है।
वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में 7 फीसदी की कमी
सोने की मांग में कमी का असर भारत में भी देखने को मिला है। जहां वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में 7 फीसदी की कमी आई है, वहीं भारत में सोने की मांग में 12 फीसदी गिरावट देखने को मिली है। साल 2018 की पहली तिमाही में सोने की मांग 87.7 टन रही, जो साल 2017 की पहली तिमाही में 99.2 टन थी। चीन, जर्मनी और अमेरिका में बार और सोने के सिक्कों में निवेश घटा है। इन देशों में बार और सोने की सिक्कों की मांग 15 फीसदी घटकर 254.9 टन हो गई है। ईटीएफ में लगातार पांचवें तिमाही निवेश बढ़ा है।
गोल्ड ईटीएफ की होल्डिंग में 32 टन की बढ़ोतरी हुई है। पहली तिमाही में निवेश मिला-जुला रहा है। कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने इस साल की पहली तिमाही में अपने भंडार में 116 टन सोना बढ़ाया है। यह चार वर्षों का उच्चतम स्तर है। 2018 की पहली तिमाही में रूस, तुर्की और कजाकिस्तान के केन्द्रीय बैंकों ने गोल्ड रिजर्व बढ़ाने में बाजी मारी है। इन देशों के केन्द्रीय बैंक ने इस अवधि में 91 टन सोना खरीदा है।