मुंबई। नए आॅर्डर आने और उत्पाद में बढ़ोतरी से देश के विनिर्माण क्षेत्र में लगातार नौवें माह तेजी दर्ज की गई और अप्रैल में इसका निक्की पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) बढ़कर 51.6 हो गया। इससे पहले मार्च में सूचकांक 51.0 रहा था। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना विनिर्माण गतिविधियों में तेजी और इससे नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है। निक्की द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचकांक में आई तेजी का सबसे बड़ा कारण उत्पाद का बढ़ना रहा है। मार्च में उत्पाद गतिविधियां पांच माह के निचले स्तर पर आ गयी थीं लेकिन अप्रैल में इसके सुधार हुआ।
रिपोर्ट की लेखिका और मार्किट इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री आशना डोढिया ने कहा, भारतीय विनिर्माण अर्थव्यवस्था ने तिमाही की मजबूत शुरूआत की है। उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में सबसे अधिक तेजी रही है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार छठे माह नये कारोबार में तेजी आई है। विदेशों से मांग में भी लगातार छठे माह अप्रैल में सुधार रहा। मांग के परिदृश्य में सुधार और कंपनियों के उत्पादन में तेजी रहने से अप्रैल के दौरान रोजगार सृजन भी बढ़ा है।
उत्पादन बढ़ने और नये आर्डर आने से कच्चे माल की खरीद भी बढ़ी। कच्चे माल की खरीद में जनवरी के बाद पहली बार इतनी तेजी दर्ज की गयी है। उत्पादन से पहले और तैयार माल के भंडार में गत माह बड़ा अंतर रहा। उत्पादन से पहले का भंडार 2018 में पहली बार इतनी तेजी से बढ़ा और तैयार माल का भंडार रिकॉर्ड तेजी से कम हुआ। बीते माह कच्चे माल की लागत बढ़ी जिसके कारण कंपनियों ने अपना बिक्री मूल्य बढ़ाया। हालांकि मूल्य बढाने की दर पिछले नौ माह में सबसे कम रही है।
रिपोर्ट के अनुसार,जुलाई 2017 में वस्तु एवं सेवाकर लागू किये जाने के बाद पहली बार कारोबारी धारणा में इतना सुधार देखा गया है। अगले एक साल का कारोबार परिदृश्य सकारात्मक रहने का अनुमान है।