नई दिल्ली। दलहनी फसलों की पैदावार में आत्मनिर्भरता के बाद अब सरकार ने वर्ष 2018-19 में तिलहनी फसलों के उत्पादन का लक्ष्य पिछले साल की तुलना में 60 लाख टन बढ़ा दिया है । कृषि आयुक्त एस के मलहोत्रा ने राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन खरीफ अभियान 2018 को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान तीन करोड़ टन तिलहनों का उत्पादन हुआ था जिसे 2018-19 में बढाकर तीन करोड़ 60 लाख टन कर दिया गया है। खरीफ के दौरान ढाई करोड़ टन से अधिक तिलहनों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उल्लेखनीय है कि देश में बड़े पैमाने पर खाद्य तेल की कमी है जिसके कारण बड़े पैमाने पर इसका आयात किया जाता है।
यह सिलसिला लम्बे अर्से से जारी है। मलहोत्रा ने कहा कि पिछले वर्ष दो करोड़ 39 लाख टन दलहनों का उत्पादन हुआ था जिसे इस बार बढ़ाकर दो करोड़ 40 लाख टन कर दिया गया है। इसी प्रकार पिछले साल 11 करोड़ 10 लाख टन धान की पैदावार हुयी थी जिसे इस बार बढाकर 11 करोड़ 30 लाख टन कर दिया गया है । मलहोत्रा ने कहा कि कपास का उत्पादन तीन करोड़ 55 लाख टन कपास उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । पिछले साल इसका उत्पादन तीन करोड़ 40 लाख टन हुआ था । उन्होंने कहा कि इस बार गर्मा मूंग और उड़द का क्षेत्र बढेगा । इस बार आठ लाख हेक्टेयर में गर्मा मूंग लगाया गया है ।
कृषि आयुक्त ने कहा कि इस बार सोयाबीन बीज की कमी का सामना करना पर रहा है क्योंकि पिछले साल मध्य प्रदेश , तेलंगना और महाराष्ट्र में बेमौसम वर्षा होने से इसकी फसल को काफी नुकसान हुआ था । उन्होंने किसानों को पहले के सोयाबीन बीज का उपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि उठे हुए क्यारी में इसकी खेती करने में काफी कम बीज लगता है ।
उन्होंने कहा कि मौसम विभाग ने इस वर्ष अच्छी वर्षा की संभावना व्यक्त की है जिससे बहुत अच्छी फसल होने की उम्मीद है । जापान ने भी अपनी पद्धति से भारतीय मौसम का अनुमान जारी किया है जिसमें अच्छी वर्षा की बात कही गयी है ।