नई दिल्ली। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने स्कूली छात्रों विशेषकर छह से 17 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में विटामिन डी की कमी को देखते हुए एनसीईआरटी,नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और उत्तरी एमसीडी के साथ मिलकर प्रोजेक्ट धूप लॉन्च किया है जिसके तहत स्कूलों से मार्निंग असेम्बली को दोपहर असेम्बली करने का आग्रह किया गया है। एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पवन अग्रवाल ने प्रोजेक्ट धूप को लॉन्च करते हुए कहा कि प्रोजेक्ट धूप एक अनोखी पहल है जो स्कूलों को मॉर्निंग असेम्बली को सुबह 11 बजे से एक बजे के बीच आयोजित करने का आग्रह करता है। सूर्य के प्रकाश के माध्यम से छात्रों में विटामिन डी का अधिकतम अवशोषण सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि विटामिन सहित सूक्ष्म पोषक तत्वों की बहुत ही कम मात्रा में जरूरत होती है, लेकिन ये जादुई छड़ी हैं जो शरीर की उचित वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक एंजाइम, हार्मोन और अन्य पदार्थों का उत्पादन कर सकते हैं। ये छोटी मात्रा में हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के परिणाम बहुत गंभीर हैं। विटामिन ए, डी, बी 12, आयरन, फोलिक एसिड और आयोडिन, सबसे महत्वपूर्ण हैं। उनकी कमी भारत में विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और विकास के लिए एक बड़ा खतरा है।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर भारतीयों के लिए विटामिन डी मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश में प्राप्त होता है और इसके बिना कमी की संभावना होती है। देश के अधिकांश हिस्सों को पूरे वर्ष प्रचुर मात्रा में धूप मिलती है। अध्ययनों से पता चला है कि 90 फीसदी लड़कों और लड़कियों में विटामिन डी की कमी है। अकेले दिल्ली में 90-97 फीसदी स्कूली बच्चों (6-17 वर्ष आयु वर्ग के) में विटामिन डी की कमी पायी गयी है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि देश के अधिकांश बच्चे विटामिन डी की कमी से पीड़ित है और हम इसके गंभीर परिणामों से अवगत नहीं हैं। एफएसएसएआई ने हमेशा इस तरह के मुद्दों पर समुदाय को शिक्षित करने का प्रयास किया है। प्रोजेक्ट धूप का दोपहर असेंबली एक अभिनव और प्रभावी अवधारणा है जो यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्कूल के छात्रों को सूर्य के प्रकाश के माध्यम से पर्याप्त विटामिन डी मिले,जबकि दूध और खाद्य तेल जैसे खाद्य उत्पादों को चुनने का विकल्प भी विटामिन ए और डी के साथ मजबूत होता है।