नई दिल्ली। रेरा और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू के बाद से अधिकांश लोग अब रेडी टू मूव (तैयार फ्लैट) खरीदने पर जोर दे रहे हैं और दिल्ली एनसीआर के आधे से अधिक बिल्डर अब किफायती आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। पुराने वस्तुओं की खरीद बिक्री वाला आॅनलाइन मार्केटप्लेस ओएलएक्स द्वारा इस संबंध में कराये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर यह खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश बिल्डर अगले 12 से 18 महीने में विभिन्न प्रोजेक्ट लॉन्च करेंगे जिनमें से 55 प्रतिशत अपने पोर्टफोलियो में किफायती हाउसिंग प्रोजेक्ट को शामिल करना चाहते हैं।
इसमें 40 लाख रुपये मूल्य तक के फ्लैट आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आय में बढ़ोतरी होने के साथ ही एक करोड़ रुपए तक के फ्लैटों की भी मांग बढ़ रही है जिसके मद्देनजर 65 प्रतिशत बिल्डर इस श्रेणी में आवासीय परियोजना शुरू करने पर विचार कर रहे हैं जबकि मात्र 15 प्रतिशत बिल्डर ही एक करोड़ रुपये से अधिक की लक्जरी आवासीय परियोजना शुरू करना चाहते हैं। रिलय एस्टेट पोर्टलों पर आॅनलाइन सर्च किये जाने वाले फ्लैटों में एक तिहाई हिस्सा किफायती आवासों का होता है।
दिल्ली, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम के दो सौ से अधिक बिल्डरों और संपत्ति सलाहकारों पर किये गये इस सर्वेक्षण में कहा कि रेडी टू मूव आवासों की मांग में बढोतरी हो रही है और अगले 12 से 18 महीनों में इसमें अधिक तेजी आने की संभावना है। रेरा और जीएसटी लागू होने के बाद इस सेक्टर में उपजी अनिश्चितता की वजह से रेडी टू मूव आवासों की मांग बढ़ी है।