नई दिल्ली। डाटा लीक में फेसबुक के बाद उसके स्वामित्व वाली लोकप्रिय मैसेजिंग सर्विस वाट्सएप भी अब संदेह के घेरे में आ गई है। विशेषज्ञों ने यह संदेह जताया कि यह उतना सुरक्षित नहीं है, जितना दावा किया जाता है। उन्होंने यूजर्स की डाटा सुरक्षा संबंधी कुछ शर्तों पर सवाल भी उठाए। साथ ही कहा कि इसके किसी गलत इस्तेमाल को चुनौती नहीं दी जाएगी।
शीर्ष अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्यमी विवेक वाधवा ने कहा यूजर्स के बीच संवाद कूटभाषा में उतना ही सुरक्षित हो सकता है, जितना वाट्सएप दावा करता है, लेकिन कॉल के बारे में सूचना आदि के डाटा का कंपनी उपयोग कर सकती है। वाट्सएप यह मान चुकी है कि वह फेसबुक के साथ यूजर्स की पहचान और उपकरण संबंधी सूचना साझा करती है। इससे फेसबुक यूजर्स की जासूसी जैसे गलत काम की छूट मिलती है।
यूजर्स को कोर्ट न जाने की शर्त
उन्होंने कहा मुझे यह सबसे ज्यादा चिंताजनक बात मिली कि वाट्सएप ग्रुप चैट फीचर में किसी भी ग्रुप सदस्य को कैंब्रिज एनालिटिका की तरह डाटा का पता लगाने की अनुमति होती है। इससे मोबाइल नंबरों को जाहिर कर लोगों को परेशान किया जा सकता है। वाधवा का कहना है सूचना को सुरक्षित रखने के मसले पर वाट्सएप का दोहरा चेहरा है। वह फेसबुक को संवेदनशील जानकारी मुहैया कराती है और दावा करती है कि वह बातचीत को जाहिर नहीं कर सकती। न्यूयॉर्क के ख्यात भारतीय मूल के वकील रवि बत्रा ने यूजर समझौते का जिक्र करते हुए कहा किसी विवाद पर वाट्सएप के यूजर्स के लिए कोर्ट नहीं जाने की शर्त होती है।
भारत में वाट्सएप के 20 करोड़ यूजर्स
फेसबुक ने वर्ष 2014 में वाट्सएप को अधिग्रहित किया था। भारत में इस मैसेजिंग सर्विस के 20 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं, जबकि पूरी दुनिया में इसके एक अरब उपयोगकर्ता हैं। यूरोपीय यूनियन के मुताबिक फेसबुक डाटा लीक से 27 लाख से ज्यादा यूरोपीय देश के यूजर्स प्रभावित हो सकते हैं। इस बारे में इस सोशल नेटवर्किंग साइट से जवाब तलब किया जाएगा।