नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने ग्रामीण इलाकों में वाई-फाई के जरिये ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के लिए वाईफाई डाटा की पुनर्बिक्री को मान्यता देने की सिफारिश की है और कहा है कि इसके लिए सभी डिजिटल माध्यमों से भुगतान की अनुमति दी जानी चाहिए। ट्राई के अध्यक्ष आर.एस. शर्मा ने गुरुवार को संचार भवन में ये सिफारिशें संचार मंत्री मनोज सिन्हा को सौंपी। शर्मा ने बताया कि सार्वजनिक वाईफाई नेटवर्क के माध्यम से ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने की सिफारिश पिछले साल 09 मार्च को की गई थी। इसके बाद पिछले साल 16 अक्टूबर को इसका पायलट परियोजना शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य यह जानना था कि इस अवधारणा को सफलतापूर्वक वास्तविकता में कैसे बदला जाए। पायलट परियोजना के अनुभव के आधार पर ट्राई ने कहा है कि दूरदराज के इलाकों और गाँवों में पब्लिक डाटा आॅफिस (पीडीओ) बनाये जा सकते हैं। इसकी सफलता के लिए डाटा की पुनर्बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिये ताकि पीडीओ आॅपरेटर वाईफाई सेवा प्रदाता से मिलने वाले डाटा की खुदरा बिक्री कर सके। ग्रामीण इलाकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुये दो रुपए से डाटा की बिक्री शुरू करने की अनुशंसा की गई है।
ट्राई की सिफारिश में कहा गया है कि पीडीओ स्थापित करने के लिए पंजीकरण जरूरी होगा। सभी सेवा प्रदाताओं के तहत पंजीकृत सभी पीडीओ एक केंद्रीय क्लाउड से जुड़े होंगे। जब कोई ग्राहक वाईफाई की रेंज में आता है और डाटा खरीदना चाहता है तो वह डिजिटल माध्यम से भुगतान कर अपनी जरूरत के हिसाब से डाटा खरीद सकता है। पीडीओ और अंतिम उपभोक्ता का प्रमाणन केंद्रीय क्लाउड से हो जायेगा। इसके लिए ग्राहक को आधार नंबर या किसी अन्य मान्य केवाईसी दस्तावेज का नंबर देना होगा। भुगतान भी केंद्रीय क्लाउड से होगा और इसके बाद ग्राहक डाटा का इस्तेमाल कर सकेगा। एक ही पीडीओ कई ग्राहकों को डाटा बेच सकेगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत किसी दूरसंचार कंपनी से वाईफाई डाटा खरीदने वाला ग्राहक इसे किसी अन्य ग्राहक को नहीं बेच सकता।
शर्मा ने बताया कि देश में ब्रॉडबैंड सेवा देने के मामले में अभी काफी दिक्कत है। वायरलेस तो उपलब्ध है, लेकिन वायरलाइन नहीं हैं। इसलिए, वाईफाई हॉटस्पॉट बनाने की अनुशंसा की गई है। किराना दुकान वाले, कोई संस्था या संगठन भी पंजीकरण कराकर पीडीओ खोल सकते हैं।