बेंगलुरु। बिजली के भारी उपकरण बनाने वाली सार्वजनिक कंपनी (भेल) ने उपग्रहों और प्रक्षेपणयानों में इस्तेमाल होने वाली लीथियम आयन बैटरी बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ एक करार किया है। इसरो ने बताया कि उसके अध्यक्ष के. सिवन और भेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अतुल सोबती ने इसरो मुख्यालय पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संधि पर हस्ताक्षर किए। उपग्रहों और प्रक्षेपणयान में इस्तेमाल होने वाली लीथियम-आयन बैटरी बनाने की स्वदेशी प्रौद्योगिकी इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम ने विकसित की है।
इसरो अपने उपग्रहों और प्रक्षेपणयानों में लीथियम-आयन बैटरियों का इस्तेमाल करता है क्योंकि इनका ऊर्जा घनत्व और विश्वसनीयता ज्यादा होती है तथा ये लंबे समय तक चलती हैं। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर द्वारा विकसित बैटरी का परीक्षण पूरा किया जा चुका है। भेल द्वारा इन बैटरियों का औद्योगिक उत्पादन शुरू होने के बाद इनके लिए आयात पर निर्भरता समाप्त हो जायेगी और इस संबंध में देश की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। साथ ही दूसरे क्षेत्र की जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी।