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प्रभु ने बताए निर्यात बढ़ाने के उपाय, जानिये क्या कहा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 16 2018 4:04PM | Updated Date: Mar 16 2018 4:04PM
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नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने उत्पादों की गुणवत्ता पर जोर देते हुए आज कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए इनकी लागत घटाना आवश्यक है। प्रभु ने यहां '58 वें राष्ट्रीय लागत सम्मेलन 2018' को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले सात साल में पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की तैयारी शुरु कर दी है। इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट, कॉस्ट एकाउंटेंट और कंपनी सेकेट्री की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। दो दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन 'द इंस्टीटयूट आॅफ कॉस्ट एकाउंटेंटस् आॅफ इंडिया' ने किया है। उन्होेंने चीन की अर्थव्यवस्था के विस्तार का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें कम लागत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए लागत घटाने पर जोर देना होगा।
 
उन्होंने कहा कि लागत घटाने के लिये गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए बल्कि लागत कम करने के लिये नवाचार, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक तैयारी का सहारा लेना चाहिए। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सफल होने के लिये प्रतिस्पर्धी कीमत और उच्च गुणवता जरुरी है। भारतीय विशेषज्ञों को इसी तथ्य को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।  प्रभु ने कहा कि भारतीय कंपनियों को  उत्पादों और सेवाओं की कम लागत और मूल्य संवर्धन पर जोर देना होगा।  यह तथ्य नहीं भूला जा सकता कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके बल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तथा विकास को गति दी जा सकती है।
 
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये सरकार द्वारा उठायें गये कदमों का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विनिर्माण, कृषि एवं सेवा क्षेत्र पर बल देने की योजना बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों पर निरंतर बल देने से पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें निजी क्षेत्र को भागीदार बनाया जा रहा है और सरकार केवल सुविधाप्रदाता की भूमिका में रहेगी।  इसके लिए उन्होेंने हाल में भारतीय उद्योग परिसंघ, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ, भारतीय वाणिज्य महासंघ, नासकॉम, नीति आयोग और वाणिज्य विभाग एवं औद्योगिक विकास एवं संवर्धन विभाग के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया है।
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