नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा के सदस्य अफ्रीकी देशों ने सौर परियोजनाओं के लिए धनी देशों से सस्ती प्रौद्योगिकी और रियायती वित्त की मांग की जबकि अंतरराष्ट्रीय ऋणदाता संस्थाओं ने स्पष्ट कहा है कि निवेश आकर्षित करने के लिए इन देशों को नीतिगत एवं जोखिम संबंधी अड़चने दूर करने तथा पारदर्शी निविदा और डिजिटल प्लेटफार्म तैयार करने जैसे कदम उठाने पड़ेंगे। ग्रीन क्लाईमेंट फंड के कार्यकारी निदेशक होवार्ड बाम्से ने 11 मार्च को यहां समाप्त हुए आईएसए के स्थापना शिखर सम्मेलन में कहा कि विकासशील देशों खासकर छोटे देशों में निवेश में बड़ी बाधाएं हैं। जोखिम को मुख्य अड़चन बताते हुए बाम्से ने कहा कि यदि इन देशों को निवेश आकर्षित करना है तो उन्हें कारगर कानूनी प्रावधान करने होंगे। अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक अदान जेड अमीन का कहना था कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 92 प्रतिशत निवेश निजी क्षेत्र से आ रहा है इसलिए भूमि अधिग्रहण तथा नियामक संबंधी अड़चनें दूर करने के लिए इन देशों को पारदर्शी एवं दीर्घकालिक नीतियां बनानी होंगी। उन्होंने आॅफ ग्रिड और मिनी ग्रिड के लिए बाजार तैयार करने की भी जरूरत बताई।
विश्व बैक के प्रबंध निदेशक जे लेवी ने कहा कि आईएसए की सौर परियोजनाओं के लिए मानकीकरण ,समान व्यवस्था एवं एकीकृत प्रणाली तैयार करनी होगी तभी हम कुशल तरीके से वित्तपोषण कर सकेंगे। एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के उप प्रमुख जे वी एम्सबर्ग ने कहा कि आईएसए ऊर्जा खरीद समझौते पीपीए और निविदा का उपयुक्त डिजाइन तैयार करेगा तभी निवेश आएगा। फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेमी रिओक्स ने कहा कि आईएसए को सस्ते वित्त पोषण के लिए नयी वित्तीय संस्थाओं से मदद के लिए ज्यादा प्रयास करना होगा।