नई दिल्ली। मेडिकल क्षेत्र में दवाइयों और अन्य जरूरी सामानों पर कितना अधिक मार्जिन होता है यह सभी को पता है। जरूरी दवाइयों और आॅपरेशन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर तो सरकार ने नकेल कसी है और उनके दामों में कमी भी आई है लेकिन आप शायद यह बात जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश में सिरिंज और नीडल्स बनाने वाली कंपनियां और मेडिकल स्टोर्स मोटा मुनाफा कमाते हैं। सिरिंज और नीडल्स पर मार्जिन 214% से लेकर 1251% तक है। तमाम तरह की सिरिंज के रिटेल प्राइस उस दाम से औसतन 664 प्रतिशत ज्यादा हैं, जिस पर डिस्ट्रीब्यूटर्स उन्हें खरीदते हैं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा है कि सिरिंज और सुइयां काफी ऊंची कीमत पर बेची जा रही हैं। वितरकों को ये उत्पाद जिस दाम पर दिए जाते हैं आगे इन्हें कई गुना कीमत पर बेचा जाता है। कुछेक मामले में तो 1,250 प्रतिशत तक का मार्जिन लिया जा रहा है। एनपीपीए ने कहा कि आधिकारिक सूत्रों और विनिर्माताओं तथा आयातकों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उसने सिरिंज और सुइयों में व्यापार मार्जिन या मुनाफे का विश्लेषण किया है।
नियामक ने एक ज्ञापन में कहा कि सुई के साथ 5 एमएल की हाइपाडर्मिक डिस्पोजेबल सिरिंज वितरकों को औसतन 2.31 रुपए पर दी जाती हैं। इन्हें 13.08 रुपए के अधिकमत खुदरा मूल्य पर बेचा जा रहा है। यानी में इसमें 1,251 प्रतिशत तक का मार्जिन लिया जा रहा है। वहीं सुई के बिना 50 एमएल की हाइपोडर्मिक डिस्पोजेबल सिरिंज को अधिकतम 1,249 प्रतिशत मार्जिन के साथ बेचा जा रहा है। वितरकों को इसकी लागत 16.96 रुपए पड़ती है और आगे इसे 97 रुपए के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचा जा रहा है। कुछ महीनों पहले देश में सिरिंज और नीडल्स बनाने वाली कुछ कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स के दाम घटाने का निर्णय अपने स्तर से किया था ताकि ड्रग प्राइसिंग रेग्युलेटर की ओर से कीमतों पर पाबंदी का सामना उन्हें न करना पड़े। इनमें से कुछ मैन्युफैक्चरर्स का दावा है कि यह कदम उन्हें काफी महंगा पड़ा है।