नई दिल्ली। शहरी क्षेत्रों में गरीबों के आवास की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। इसके लिए राष्ट्रीय शहरी आवास कोष का गठन किया गया है। शहरी विकास मंत्रालय के इस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंगलवार यहां मंजूरी दी गई। इससे गरीबों को आवास के लिए बैंकों से रियायती दर पर ऋण मुहैया कराया जाएगा।
शहरी आवास कोष में 60 हजार करोड़ का प्रावधान
राष्ट्रीय शहरी आवास कोष में 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट के इस फैसले से शहरी क्षेत्रों में मकानों की कमी को आसानी से पूरा करने में आसानी होगी। इससे गरीबों एवं झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को कम ब्याज दर पर सस्ते मकान उपलब्ध कराने में सहूलियत होगी।
2022 तक 1.2 करोड़ मकानों के निर्माण का लक्ष्य
सरकार ने 2022 तक 1.2 करोड़ मकानों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अगले चार सालों में देश के कमजोर वर्ग को छत मुहैया कराना सरकार का लक्ष्य है। शहरी विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 39.4 लाख मकानों के निर्माण की मंजूरी दे दी है। अब तक 17 लाख से ज्यादा मकानों का निर्माण शुरू भी हो चुका है, जिसमें पांच लाख मकान बन भी गये हैं।
सरकार ने यह पहल अपने सबको मकान देने के वायदे को पूरा करने के लिए किया है। सभी राज्य सरकारों ने केंद्र के इस फैसले को आगे बढ़कर लागू किया है। शहरी बुनियादी सुविधाओं और शहरों के आसपास बसी झुग्गी झोपड़ियों को हटाने में इस योजना की अहम भूमिका है।
ऋणों पर ब्याज सब्सिडी योजना से लोगों को काफी लाभ हुआ
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत ऋणों पर ब्याज सब्सिडी की योजना से जरूरमंद लोगों को काफी लाभ हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए बैंकों और आवासी ऋण कंपनियों से ऋण मुहैया कराया जा रहा है। सरकार की इस योजना के तहत पिछले आठ महीनों में करीब 87 हजार आवासीय ऋण मंजूर किए जा चुके हैं। हालांकि अभी 40 हजार लोगों में आवासीय ऋण के लिए आवेदन किया है, जिस पर विचार किया जा रहा है।