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कॅरियर बनाने के मामले में इन क्षेत्रों में पुरुषों से पीछे है महिलाएं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 12 2018 3:56PM | Updated Date: Feb 12 2018 3:57PM
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नई दिल्ली। पुुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) में कॅरियर बनाने की संभावना कम होती है। इसकी वजह यह है कि इसमें लगातार स्किल को बढ़ाना होता है और उन्हें पुरुषों के दबदबे वाले कामकाजी माहौल जैसे फैक्टर्स से भी निपटना पड़ता है।
इन बातों का खुलासा हाल ही में हुए मास्टरकार्ड और रिसर्च हाउस इनसाइट के सर्वे में हुआ। स्टेम और नॉन स्टेम जॉब वाली 136 महिलाओं पर किए गए 'रिविजटिंग वुमेन इन एसटीईएम' सर्वे के मुताबिक, स्टेम जॉब वाली 45 प्रतिशत महिलाएं मौजूदा कॅरियर से खुश नहीं हैं। वे पूरे कॅरियर में स्टेम जॉब करते रहना नहीं चाहतीं। 46 प्रतिशत इसके लिए लगातार अपस्किलिंग की जरूरत को वजह बताती हैं जबकि 39 प्रतिशत महिलाओं को रोज देर तक काम करना पसंद नहीं और 36 प्रतिशत महिलाएं दफ्तरों में पुरुषों के दबदबे वाले माहौल से खुश नहीं हैं।
 
सोसाइटी और मीडिया को बताया जिम्मेदार
लगभग 36 प्रतिशत महिलाएं सोसाइटी और मीडिया को जिम्मेदारी ठहराती हैं, जो आमतौर पर महिलाओं के स्टेम में कॅरियर को बढ़ावा नहीं देता। इसी तरह, 24% औरतों को लगता है कि उनको पुरुषों जितना वेतन मिलने की संभावना कम है। सर्वे में यह भी पता चला है कि कॉलेज की पढ़ाई के दौरान किए जाने वाले उपायों से लड़कियों को स्टेम कॅरियर में बड़ा नाम करने में मदद मिलेगी।
 
सर्वे में शामिल महिलाओं का कहना है कि इस काम में कॅरियर रिक्रूटमेंट फेयर (48प्रतिशत), इंटर्नशिप (45 प्रतिशत), नेटवर्किंग (42 प्रतिशत), स्टेम प्रोफेशनल्स के साथ चर्चा (37 प्रतिशत) और मेंटरशिप (29 प्रतिशत) अहम रोल अदा कर सकते हैं। एचआर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंडियन सोसाइटी में औरतों के बढ़ते योगदान को देखते हुए यह सब करना बहुत जरूरी है। 2022 तक दुनिया में सबसे ज्यादा युवाओं की आबादी भारत में होगी। यहां की महिलाएं देश का भविष्य तय करने में अहम रोल अदा कर सकती हैं। यह बात मास्टरकार्ड की एचआर हेड साउथ एशिया ने कही। कैलिफोर्निया की सनीवेल को आरएंडडी सपोर्ट मुहैया कराने वाली जूनिपर नेटवर्क्स इंडिया एक्सीजेंस सेंटर की सीनियर डायरेक्टर एचआर हरिणी मुरलीधरन के मुताबिक कंपनियों की बड़ी जिम्मेदारी बनती है।
 
स्कूल में ही बनने लगता है जेंडर गैप
मास्टरकार्ड और इनसाइट के मिलकर किए गए सर्वे 'गर्ल्स इन टेक: द पाथ आॅफ यंग वुमन टू अ कॅरियर इन स्टेम' के मुताबिक स्टेम फील्ड में कामकाज को लेकर धारणाएं बहुत पहले बना ली जाती हैं। यह सर्वे 12 से 19 साल की 310 लड़कियों पर किया गया था। सर्वे में शामिल 38 प्रतिशत लड़कियों के मुताबिक जेंडर गैप स्कूल में ही बनने लगता है क्योंकि इनको लगता है कि स्टेम फील्ड में काम करने की संभावना लड़कों से कम है भले ही टीचर और काउंसलर उनको स्टेम में करियर बनाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
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