नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा और कुशल परिवहन के अभियान को तेज करते हुए रबर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (आरएसडीसी) चालू वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख टायर मैकेनिकों के कौशल प्रशिक्षण एवं प्रमाणित करेगा। चालू वर्ष के दौरान अब तक आरएसडीसी की ’सामर्थ’ परियोजना के अन्तर्गत 19 राज्यों के 119 जिलों में 35 हजार टायर फिटर्स को प्रशिक्षित करके उनको रि-स्किल्ड, अपस्किल्ड और प्रमाणित किया जा चुका है।
आरएसडीसी ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने उसने एक लाख टायर मैकेनिकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य दिया है। एक क्लास रूम प्रशिक्षण के बजाय, सामर्थ परियोजना के तहत मोबाइल कौशल वैन विशेष रूप से विकसित की गई हैं, जो टायर फिटिंग उपकरणों से लैस है।
इस अभियान के तहत प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा संचालित यह वैन देश के टायर मैकेनिकों तक पहुंच रहे हैं। इसी प्रयास के तहत 18 मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है जिससे कुल मोबाइल वैन की संख्या 40 हो गयी है। आरएसडीसी के अध्यक्ष विनोद साइमन ने कहा कि टायर मैकेनिक बड़े पैमाने पर असंगठित हैं और औपचारिक रूप से कुशल नहीं हैं।
जबकि विशेष रूप से कमर्शियल टायरों की फिटिंग के लिए औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। कुशल रख-रखाव वाहनों की सुरक्षित आवाजाही के लिए बहुत जरूरी है। आरएसडीसी ने सड़क सुरक्षा और आर्थिक विकास के हित में टायर मैकेनिकों को प्रशिक्षित करने की पहल की है। कार्यक्रम के तहत टायर फिटरों को व्हील अलाइंमेंट और टायर बदलने के दौरान अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं और सुरक्षा विधियों को सिखाया जा रहा है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत संचालित सामर्थ परियोजना का उद्देश्य रबर क्षेत्र में दस लाख कर्मचारियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हुए उन्हें नेचुरल रबर प्लांटेशन, रबर मेनुफैक्चरिंग और टायरों के रख-रखाव के लिए तैयार करना है। ऑ ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने टायर फिटिंग प्रशिक्षण के इस अभियान में आरएसडीसी का सहयोग किया है। यह प्रशिक्षण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाय) की आरपीएल (रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग) योजना के तहत प्रदान किया जा रहा है।