नैनीताल। जल विद्युत के क्षेत्र में मुनाफा कमाने वाली केन्द्र सरकार की टिहरी हाइड्रो पावर कारपोशन (THDC) के विनिवेश के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के अलावा सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश जारी किये हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई।
यह जानकारी अधिवक्ता बीडी उपाध्याय ने दी। THDC के विनिवेश के मामले को टिहरी निवासी भूपेन्द्र बिष्ट और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से इसे चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि टीएचडीसी केन्द्र सरकार का मुनाफा कमाने वाला संस्थान है। इसमें 27 प्रतिशत शेयर उत्तर प्रदेश सरकार का भी हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार की मंत्रिमंडलीय समिति ने विगत 20 नवम्बर को हुई बैठक में इस संस्थान का विनिवेश कर दिया है और इसका स्वामित्व नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) को सौंपने का निर्णय लिया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि एनटीपीसी थर्मल के माध्यम से ऊर्जा पैदा करने का काम करती है जबकि उसे जल विद्युत (हाइड्रो) के क्षेत्र में काम करने का अनुभव नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से भी केन्द्र सरकार के इस कदम का विरोध नहीं किया गया है जबकि टीएचडीसी के हक को लेकर राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में लड़ाई लड़ रही है और इस मामले में वाद उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
यही नहीं केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय और THDC की आपत्ति को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने विशेषज्ञता के आधार पर एनटीपीसी को स्वामित्व सौंपने को चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं की ओर से आगे कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि उत्तराखंड के संसाधनों को लेकर बनाये गये THDC में राज्य सरकार के हकों को वंचित कर दिया गया है। ऐसे में राज्य के हकों को लेकर लंबित वाद पर उच्चतम न्यायालय को फैसला सुनाना है। उपाध्याय ने बताया कि पूरे प्रकरण को सुनने के बाद अदालत ने केन्द्र, उप्र और उत्तराखंड सरकार के अलावा टीएचडीसी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।