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लेमन ग्रास की खेती कर मुनाफा कमा रहा है किसान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 26 2019 2:52PM | Updated Date: Dec 26 2019 2:53PM
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देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक किसान लेमन ग्रास की खेती कर अपनी आय बढ़ाने के साथ और अन्य किसानों के लिये नजीर बन रहा है। रूद्रपुर तहसील के ग्रास सतुआभार के युवा किसान कृष्ण कमल सिंह ने बताया कि करीब डेढ़ वर्षो से आयुर्वेदिक फसल लैमन ग्रास की खेती करता हैं। सुगंधित फसल के श्रेणी में आने वाली लेमन ग्रास का फॉर्म पकड़ी बाजार के बरडीहा दल में स्थित है।
 
लेमन ग्रास के तेल से इत्र साबुन आयुर्वेदिक दवाएं और अरब कंट्री में लोग इसे लेमन टी के रूप में प्रयोग करते हैं और आजकल अपने देश में भी लैमन टी के  रूप में प्रयोग किया जा रहा है। सिंह का कहना है कि लेमन ग्रास की खेती से बहुत ही फायदेमंद है। इसकी खेती जुलाई-अगस्त सितंबर और फरवरी-मार्च मेंकी जाती है। खेती में इस बात का ध्यान रखना होता है कि जहां पानी लगता हो वहां इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। इस खेती के लिए धान की खेती जैसे खेत तैयार करते हैं।
 
इसका पौधा स्लिप द्वारा लगाया जाता है। स्लिप दूरी डेढ़ बाइ डेढ़,या डेढ़ बाई दो पर लगाया जाता है। इसको शुरुआती दौर में पानी की आवश्यकता होती है। किसान का कहना है कि अगर हम जुलाई माह में फसल लगाते हैं तो बारिश के पानी से ही यह फसल तैयार हो जाती है। बाकी अन्य समय में साल भर में  चार से पांच पानी देना पड़ता है। जब हम इसे स्लिप के माध्यम से लगाते हैं तो यह एक एकड़ में 17000 से 18000 स्लिप लगता है, और एक स्लिप की कीमत 70 से 80 पैसे में आती है।
 
पहली कटिंग के लिए 7 महीने में तैयार फसल तैयार हो जाती है और एक स्लीप 7 महीने में 20 से 25 करले बना लेती है। उसके बाद हर तीन महीने पर कटिंग करते रहते हैं। हर कटिंग  गुड़ाई करके पानी चला दिया जाता है, खेत के हिसाब से यूरिया ओर डीएपी डाल दिया जाता है , कोशिश करना चाहिए कि जैविक तरीका अपनाया जाय। जैविक तरीके से तेल की कीमत अच्छा मिलता है,और इसका तेल आसवन विधि द्वारा निकाला जाता है।
 
उन्होंने बताया कि जिस तरह पिपरामींट का तेल निकलता है उसी प्रकार इसका भी तेल निकाला जाता है। मगर पिपरमिंट तीन महीने की फसल होती है और यह फसल लगातार पांच साल तक चलती है। दूसरी कटिंग तक 40 से 45 कल्ले एक पौधे में हो जाते हैं। पहले साल में 60 से 70 लीटर तेल आराम से निकल जाता है और 1 साल बाद जब इसके एक पौधे में 70 से 80 कल्ले हो जाते हैं  2 साल में 100 से 120 लीटर तेल 1 एकड़ में निकल जाता है इसका मार्केट प्राइस 1 लीटर का 800 से 12 सो रुपए लीटर के बीच में रहता है और इसका तेल आसानी से बिक जाता है। कानपुर लखनऊ इलाहाबाद दिल्ली शहरों कि व्यापारी खरीद लेते हैं।
 
अगर 20 से 25 किसान समूह बनाकर इसकी खेती करते हैं तो बड़ी कम्पंनीया खुद खरीद लेती हैं और किसानों को अच्छा दाम भी मिल जाता है। अगर किसान समूह बनाकर खेती करते हैं तो एक आसवन टेंक से आराम से तेल निकाल सकते हैं इससे आसवन टैंक का पैसा कम लगेगा और सभी किसान आसानी से तेल निकाल लेंगे टैंक एक लाख से लेकर  5 लाख तक का होता है। समूह में खेती करने से सभी किसानों में आसानी से पैसा बट जाता है। इस खेती को करने से किसानों की आय मे दो से तीन गुनी बढ़ोतरी हो जाती है और आयुर्वेदिक फसलों का डिमांड हमेशा बना रहता है।  आयुर्वेदिक फसलों पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार विशेष जोर दे रही है और सरकार की मुहिम आय दोगुनी करने की पहल को आयुर्वेदिक फसलें ही पूरा कर सकती हैं। 
    
 
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