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दिवाली से पहले RBI का तोहफा, रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर हुई 5.15 फीसदी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 4 2019 12:29PM | Updated Date: Oct 4 2019 12:29PM
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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी लाने और दिवाली का तोहफा देने के लिए शुक्रवार को लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करने की घोषणा की है। नई रेपो रेट घटकर अब 5.15 प्रतिशत हो गई है, जो कि पहले 5.40 प्रतिशत थी। इस फैसले के बाद आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। साथ ही, EMI घटने की उम्मीद भी बढ़ जाएगी। इसके साथ ही इस साल अब तक ब्याज दर में 1.35 फीसदी तक की कटौती हो चुकी है। रेपो रेट घटकर अब 5.15 फीसदी रह गई है।
 
उम्मीद है कि बैंक दिवाली से पहले इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक RBI से लोन लेते हैं यानी यह बैंकों के लिए फंड की लागत होती है। यह लागत घटने पर बैंक अपने लोन की ब्याज दर भी कम करते हैं। इस साल जनवरी से अभी तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में 1.35 फीसदी तक कटौती कर चुका है।रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) इसके बारे में निर्णय लेती है।
 
इसके पहले रिजर्व बैंक ने अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा की थी और तब भी ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती की गई थी। इस बीच आर्थ‍िक परिस्थ‍ितियों में काफी बदलाव आया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है, जिस पर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अचरज किया था। इसके बाद सरकार ने चौंकाते हुए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी थी, जिससे सरकार के खजाने में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान है।
 
इसके अलावा पीएमसी बैंक के संकट से वित्तीय प्रणाली की अनिश्चितता बढ़ गई। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है और पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ महज 6.8 फीसदी रही है। रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में 5.8 फीसदी ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह पूरी तरह से गलत साबित हुआ। IL&FS के ढह जाने और पीएमसी सहित कई वित्तीय कंपनियों, बैंकों की मुश्किल से रिजर्व बैंक के लिए इस सिस्टम में स्थ‍िरता बनाए रखने की चुनौती है।
 
रिजर्व बैंक ने हाल में भरोसा दिया है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत और सुरक्ष‍ित है और जनता को चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसी अफवाह भी उड़ गई थी कि एनपीए की वजह से कई बैंक बंद हो रहे हैं, जिनका रिजर्व बैंक ने तत्परता से खंडन किया। इसके अलावा अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से वित्तीय घाटे के मोर्चे पर नए तरह की चिंताएं खड़ी हुई हैं। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 फीसदी के लक्ष्य को पार कर जाने की आशंका है। ज्यादा राजकोषीय घाटे से महंगाई बढ़ सकती है।
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