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ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है भारतीय रिजर्व बैंक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 30 2019 1:35AM | Updated Date: Sep 30 2019 1:36AM
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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक शुक्रवार को नीतिगत दरों में एक और कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो ब्याज दरों में यह लगातार पांचवीं कटौती होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन को कॉर्पोरेट कर की दर में कटौती और ऋण का उठाव बढ़ाने को कदम उठाए हैं। माना जा रहा है कि सरकार के कदम के अनुरूप केंद्रीय बैंक भी रेपो दर में और कटौती कर सकता है।
 
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) तीन दिन की बैठक के बाद चार अक्टूबर यानी शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी। जनवरी से अभी तक केंद्रीय बैंक चार बार में रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इससे पहले अगस्त में हुई पिछली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रीपो दर को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया था। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने बैंकों को एक अक्टूबर से अपनी ऋण दरों को बाहरी मानकों मसलन रेपो दर से जोड़ने का निर्देश दिया है। मौद्रिक समीक्षा बैठक से पहले दास की अगुवाई वाली वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) उप समिति ने वृहद आर्थिक स्थिति पर विचार विमर्श किया। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के हाथ बंधे हुए हैं और अब पहल करने का काम केंद्रीय बैंक को करना है। ऐसे में ब्याज दरों में एक और कटौती तय है।

0.25% की हो सकती है कटौती : सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुमान मैगजीन ने कहा कि सरकार ने पिछले कुछ सप्ताह के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के लिए कई उपाय किए हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर उपाय आपूर्ति पक्ष का दबाव कम करने वाले हैं। मुख्य चुनौती मांग पैदा करने की है। उन्होंने कहा, 'ऐसे में हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले सप्ताह रिजर्व बैंक रीपो दर में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर इसे 5.15 प्रतिशत पर लाएगा।'

नीतिगत दर में भी कटौती की उम्मीद : आईडीएफसी एएमसी के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा कि वैश्विक और घरेलू परिदृश्य कमजोर है, जिससे मौद्रिक रुख में नरमी की गुंजाइश है। हमें उम्मीद है कि रेपो दर को 5 से 5.25 प्रतिशत के दायरे में लाया जाएगा। आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं, लेकिन नीति निर्मार्ता इस बात से राहत ले सकते हैं कि अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.21 प्रश. हुई है, लेकिन यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है। उम्मीद है कि मुद्रास्फीति कम रहने की वजह से केंद्रीय बैंक के पास नीतिगत दर में और कटौती की गुंजाइश है।
 
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