20 Apr 2024, 00:20:49 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Business

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन बिजली आपूर्ति निजीकरण का विरोध करेगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 29 2019 4:48PM | Updated Date: Sep 29 2019 4:48PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

जालंधर। बिजली आपूर्ति का निजीकरण करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में किए जाने वाले संशोधन के विरोध में बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह के इस वक्तव्य कि लोकसभा के संसद के शीतकालीन सत्र में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन कर नया एक्ट बनाने हेतु विधेयक रखा जाएगा,  पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रविवार को कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन की कवायद मुख्यत:  बिजली आपूर्ति और वितरण का कार्य अलग कर बिजली आपूर्ति को निजी क्षेत्र को सौंपने की केंद्र सरकार की योजना है जिसका प्रबल विरोध किया जायेगा।
 
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने रविवार यहां जारी एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट संशोधित करने के किसी भी बिल को लोकसभा में रखे जाने के पहले बिजली कर्मचारियों अभियंताओं और आम उपभोक्ताओं से बात किया जाना जरूरी है। क्योंकि बिजली आपूर्ति के निजीकरण से सबसे अधिक कर्मचारी और उपभोक्ता ही प्रभावित होने वाले हैं।
 
फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने कहा कि भयंकर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे पावर सेक्टर में अधिक राजस्व वाले क्षेत्र  की आपूर्ति का काम निजी घरानों को सौंपने से पावर सेक्टर पूरी तरह आर्थिक रूप से दिवालिया हो जाएगा। अत: मौजूदा परिस्थितियों में बिजली आपूर्ति का निजीकरण राष्ट्र हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि  बिजली क्षेत्र में घाटे और बिजली की अधिक लागत के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ऊर्जा नीति जिम्मेदार है।
 
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा  सोलर व विंड पावर की खरीद के लिए निजी घरानों से ऊंची दरों पर 25 साल के करार की गए हैं और आज उससे कहीं सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध होने के बावजूद केंद्र सरकार इन करारों  की पुनरसमीक्षा नहीं होने दे रही है। इसी प्रकार  उन्होंने कहा कि  इलेक्ट्रिसिटी एक्ट मे कोई भी संशोधन किए जाने के पहले जरूरी है कि राज्य बिजली बोर्डों के विघटन के बाद कंपनियां बनाए जाने से बढ़ने वाले घाटे की कार्यप्रणाली की पुनर समीक्षा की जाए।
 
इसी प्रकार उड़ीसा और दिल्ली में हुए निजीकरण की विफलता की पूर्ण समीक्षा भी जरूरी है साथ ही शहरी क्षेत्रों को निजी फ्रेंचाइजी को सौंपे जाने की भी समीक्षा की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है की बिजली बोर्डों के विघटन और निजीकरण  के प्रयोग पूरी तरह विफल रहे हैं ऐसे में इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन कर बिजली आपूर्ति के निजीकरण का एक और प्रयोग ऊर्जा क्षेत्र के लिए अत्यंत घातक और आत्मघाती सिद्ध होगा। उन्होंने केंद्रीय विद्युत मंत्री से अपील की है कि  इस बाबत बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं से तत्काल वार्ता प्रारंभ की जाए। 
  
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »