नई दिल्ली। वर्षा की अनिश्चितता, भूगर्भ जल के गिरते स्तर और तापमान में वृद्धि के कारण खरीफ के दौरान धान की जगह खेत में मेड़ बनाकर मक्का की खेती की नई विधि विकसित कर ली गई है जो न केवल किसानों के लिए आर्थिक रुप से लाभदायक है बल्कि बड़ी मात्रा में पानी की बचत में सहायक भी है। राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा (समस्तीपुर) ने दस वर्षो के अनुसंधान के बाद मेड़ बना कर खरीफ मक्का की खेती की विधि विकसित की है। बिहार में एक किलो मक्का की पैदावार के लिए 1150 से 9500 लीटर पानी की जरुरत होती है जबकि इतनी ही धान की पैदावार के लिए 3500 से 5000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। विश्वविद्यालय के मक्का अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक मृत्युंजय कुमार ने बताया कि खेत में स्थायी तौर पर मेड़ बनाकर उस पर मक्का और अन्य फसलों की खेती से फसलों को पानी की कम जरुरत होती है।