नई दिल्ली। पिछले पांच साल से महंगाई में गिरावट का रुख बना हुआ है और वर्ष 2018-19 में घटकर 3.4 प्रतिशत रह गई। संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा 2018-19 में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत ज्यादा स्थिर एवं कम महंगाई की ओर बढ़ती रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर पिछले पांच वर्षों से निरंतर कम होती जा रही है। यह वर्ष 2017-18 के 3.6 प्रतिशत, वर्ष 2016-17 के 4.5 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 के 4.9 प्रतिशत और 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2018-19 में 3.4 प्रतिशत के स्तर पर आ गई।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य महंगाई दर वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान घटकर 0.1 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही। आर्थिक समीक्षा के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर वर्ष 2016-17 के 1.7 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 के 3.7 प्रतिशत ऋणात्मक और वर्ष 2014-15 के 1.2 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2017-18 में 3.0 प्रतिशत के स्तर पर टिकी रही। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान यह 4.3 प्रतिशत आंकी गई। महंगाई को नियंत्रण में रखना अब भी नीतिगत फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
सरकार ने महंगाई, विशेषकर खाद्य महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। कालाबाजारी के साथ महंगाई की नियमित निगरानी, जमाखोरी एवं कालाबाजारी के खिलाफ राज्यों को परामर्श जारी करना, महत्वपूर्ण जिंसों की कीमतों एवं उपलब्धता पर नियमित रूप से समीक्षा बैठकें आयोजित करना, उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दालों एवं अनय फसलों के ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना और कृषि- बागवानी जिंसों की खरीद के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाना शामिल हैं।