नई दिल्ली। देश की पब्लिक सेक्टर की कई कंपनियां घाटे में चल रही हैं। वहीं कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्हें सरकार बंद करना चाहती है। इन बीमारू कंपनियों से जुड़े करीब 1 लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित हैं। यह खुलासा सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के आधार पर हुआ है। हालांकि सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि बंद हो रही कंपनियों के कर्मचारी मुआवजे के हकदार हैं। दरअसल, हाल ही में कर्नाटक से बीजेपी सांसद एससी उदासी ने सरकार से पब्लिक सेक्टर की बीमारू कंपनियों को लेकर कुछ सवाल पूछे हैं।
एससी उदासी का पहला सवाल था कि देश में कितनी बीमारू पीएसयू कंपनियां और कितने प्रभावित कर्मचारी हैं। वहीं दूसरा सवाल था कि बीमार पीएसयू कंपनियों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के पास क्या योजनाएं हैं। इन सवालों में उन्होंने पीएसयू कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की आजीविका के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम का भी ब्यौरा मांगा।
अलग-अलग विभाग के करीब 56 कंपनियों का जिक्र
इन सवालों का जवाब देते हुए भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्रालय के मंत्री अरविंद गणपत सांवत ने बीमार कंपनियों और कर्मचारियों की जानकारी दी। उन्होंने अलग-अलग विभाग के करीब 56 कंपनियों का जिक्र किया और बताया कि इनमें 1 लाख 13 हजार 296 कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि बंद हो रही कंपनियों के कर्मचारी लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के वीआरएस/ वीएसएस दिशानिर्देश के मुताबिक मुआवजे के हकदार हैं। इसके साथ ही सरकार, कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) योजना लागू कर रही है ताकि बंद हो रही कंपनियों के कर्मचारियों के आश्रितों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।
किन विभाग की कंपनियों का जिक्र
सरकार की ओर से रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग, उर्वरक विभाग, फार्मास्यूटिकल विभाग, नागरिक उड्ययन मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और दूरसंचार विभाग की कंपनियों का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही कंपनियों के नेटवर्थ की भी जानकारी दी गई है।