नई दिल्ली। सेविंग अकाउंट में बैंक की ओर से मिनिमम बैलेंस रखने का प्रावधान होता है। ऐसा न करने पर बैंक आपसे पेनल्टी वसूलता है। कई बैंकों में मिनिमम बैलेंस की सीमा 10,000 रुपए है। ऐसे में अगर आपके पास दो से ज्यादा अकाउंट हैं तो आपकी टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि आम आदमी के लिए सेविंग अकाउंट में 20,000 रुपए जमा रखना काफी मुश्किल है। ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से टैक्स जमा करते समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कागजी कार्रवाई में भी अधिक माथापच्ची करनी पड़ती है। साथ ही इनकम टैक्स फाइल करते समय सभी बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां रखनी पड़ती है। अक्सर उनके स्टेटमेंट का रिकॉर्ड जुटाना काफी पेचीदा काम हो जाता है।
भरने होते हैं ये एक्स्ट्रा चार्जेज
कई अकाउंट होने से आपको सालाना मेंटनेंस फीस और सर्विस चार्ज देने होते हैं। क्रेडिट और डेबिट कार्ड के अलावा अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी बैंक आपसे पैसे चार्ज करता है। तो यहां भी आपको काफी पैसों का नुकसान उठाना पड़ता है।
नहीं मिलता है अच्छा इंटरेस्ट
एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट होने से आपको कम ब्याज के रूप में भी नुकसान उठाना पड़ता है। यानी एक से ज्यादा अकाउंट होने से आपका बड़ा अमाउंट बैंकों में फंस जाता है। उस राशि पर आपको ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 फीसदी ही सालाना रिटर्न मिलता है। जबकि आप उस पैसे को दूसरी योजनाओं में लगा सकते हैं। इससे आपको सालाना रिटर्न के तौर पर ज्यादा ब्याज मिलेगा।