नई दिल्ली। भारतीय रेल की स्वदेशी तकनीक से विकसित सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस का दूसरा सेट राजधानी से जम्मू कश्मीर में श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा के लिए चलाया जा सकता है। रेल मंत्रालय के आदेश पर इस मार्ग के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस के नये रैक के परीक्षण करने की तैयारी हो चुकी है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड की ओर से उत्तर रेलवे को वंदे भारत एक्सप्रेस का परीक्षण इस मार्ग पर तुरंत आरंभ करने का निर्देश दिया गया है। उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने अम्बाला से जम्मू तवी एवं श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा तक के मार्ग पर हर दृष्टि से इस गाड़ी के परीक्षण की परिस्थितियों का अध्ययन शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस आठ घंटे में नयी दिल्ली से श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा स्टेशन पहुंचेगी जबकि इस समय सबसे तेज ट्रेन भी करीब 12 घंटे का समय लेती है। आरंभिक योजना के अनुसार गाड़ी केवल तीन स्टेशनों -अंबाला जंक्शन, लुधियाना, जम्मू तवी पर ठहरेगी। गाड़ी की गति 130 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने इस मार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस के परिचालन के निर्णय पर कई सवाल भी उठाये हैं। उनका कहना है कि कटरा स्टेशन से उतर कर यात्री 14 किलोमीटर दूर माता वैष्णोदेवी के भवन तक पहाड़ पर पैदल चढ़ कर जाते हैं। ऐसे में जाते एवं आते समय आठ घंटे चेयरकार का सफर उनके लिए कष्टकारी होगा। अलबत्ता ट्रेन -18 के स्लीपर वाले रैक यानी ट्रेन-19 को चलाने से फायदा होगा।
बहरहाल रेलवे बोर्ड के दस्तावेजों के मुताबिक वंदे भारत सुबह 6 बजे नई दिल्ली से कटरा स्टेशन के लिए रवाना होगी. इस ट्रेन के सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर अंबाला जंक्शन पर पहुंचने का अनुमान है. यहां पर दो मिनट रखने के बाद यह ट्रेन आगे के लिए रवाना होगी। ट्रेन 9.22 बजे लुधियाना पहुंचेगी और वहां से 9 बजकर 24 मिनट पर छूट जाएगी और 12बजकर 40 मिनट पर जम्मू तवी स्टेशन पहुंचेगी। ट्रेन दोपहर दो बजे कटरा स्टेशन पहुंचेगी। वापसी में कटरा स्टेशन से वंदे भारत दोपहर 3 बजे नयी दिल्ली के लिए रवाना होगी और रात 11 बजे पहुंचेगी। ट्रेन 4 बजकर 18 मिनट पर जम्मू तवी स्टेशन, शाम 7 बजकर 36 मिनट पर लुधियाना और रात 20 बजकर 56 मिनट पर अंबाला स्टेशन पहुंचेगी।
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस 15 फरवरी को नयी दिल्ली से वाराणसी के बीच चलायी गयी थी। उद्घाटन यात्रा में मामूली सी गड़बड़ी के बाद यह ट्रेन निर्बाध रूप से बिना किसी खामी के चल रही है। यह गाड़ी सप्ताह में सोमवार एवं गुरुवार को छोड़कर पांच दिन चलती है। गत 15 मई को इस गाड़ी से एक लाख किलोमीटर का सफर पूरा किया है और इस तरह से इस क्षेत्र में अपनी तकनीकी श्रेष्ठता साबित कर दी है। यह गाड़ी भारतीय रेल की तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक और देश की गौरवपूर्ण उपलब्धि है। इस गाड़ी ने सर्दी गर्मी हर मौसम में भारतीय रेल की पुरानी पटरियों पर नई सदी के परिवहन की तकनीकी दक्षता साबित की है।
चेन्नई के इंटीग्रल कोच कारखाने में वंदे भारत एक्सप्रेस का दूसरा सेट तैयार हो गया है। सोलह कोच वाली इस ट्रेन में एग्जीक्यूटिव श्रेणी के दो कोच हैं जिनमें 52 - 52 यात्री बैठ सकते हैं। जबकि हर चेयरकार में 78 सीटें हैं। पहले सेट में यात्रियों के फीडबैक के आधार पर नये सेट में कई बदलाव किये गये हैं। पैन्ट्री के लिए अतिरिक्त जगह बनाई गई है। को सुदृढ़ किया गया है। गाड़ी के आगे वाले भाग में कैटल गार्ड लगाया गया है ताकि ट्रैक पर जानवर आ जाने की दशा में गाड़ी के उपकरणों का नुकसान ना हो। चेयरकार में सीटों को अधिक आरामदेह बनाया गया है। पथराव की घटनाओं को देखते हुए खिड़कियों के शीशे पर विशेष कोचिंग की गयी है।
भारतीय रेल के इंजीनियरों ने डेढ़ साल के रिकार्ड समय में दुनिया का सबसे सस्ता ट्रेन सेट ‘ट्रेन 18’ तैयार किया है। यह गाड़ी 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। जबकि इसका 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफल परीक्षण किया गया है। भारतीय रेलवे की योजना है कि ऐसे सौ और ट्रेन सेट बनाए जायेंगे और 30 नये ट्रेन सेट बनाने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। इसे मात्र 97 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस ऐसी ट्रेन विदेशों से आयात करने 200 करोड़ खर्च करने पड़ते। भारतीय रेल अब इस ट्रेन को वैश्विक बाजार में भी पेश करने की तैयारी कर रही है। अधिकारियों का दावा है कि इतने सस्ते ट्रेन सेट चीन भी नहीं बनाता है। यही कारण है कि वंदे भारत एक्सप्रेस को देखने और समझने के लिए चीन और जापान सहित अनेक देशों के अधिकारियों के आने का सिलसिला जारी है।
वाई-फाई, एलईडी टीवी स्क्रीन एवं 180 डिग्री घुमने वाली चेयर, आधुनिक शौचालयों से युक्त इस ट्रेन की प्रत्येक बोगी इंजन की तर्ज पर कई फीचर्स से लैस हैं। यही वजह है कि इसे रफ्तार पकड़ने और शीघ्र रोकने में चंद सेकेंड ही लगते हैं। आपात स्थित में ट्रेन रोकने के लिए हर बोगी में जंजीर की जगह खास तरह के स्वीच लगे हैं, जिसे दबाकर रह यात्री ट्रेन चालक से बातचीत कर सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर कुछ सेकेंड के भीतर ही चालक गाड़ी को रोक सकता है।
यात्री बोगी में लगी एलईडी स्क्रीन के साथ-साथ वाई-फाई के जरिये उन्हीं मनोरंजंक कार्यक्रमों का आनंद अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर ले सकेंगे। आने वाले रेलवे स्टेशनों और गाड़ी के खुलने एवं रुकने की जानकारी भी समय-समय पर यात्रियों देने की आधुनिक व्यवस्था की गई है। दिव्यांगों के लिए खास व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ‘स्लीपर’ यानी विश्राम करने वाली सीटें भी उपब्ध होंगी। इसके लिए काम चल रहा है। ये ट्रेन आने वाले समय में धीरे-धीरे शताब्दी और राजधानी ट्रेनों का स्थान ले सकती है।