नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 8.5 करोड़ अंशधारकों को केंद्र सरकार बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। इस झटके से लोगों को पीएफ खाते में जमा रकम पर भी असर पड़ने की संभावना है। वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ को जो प्रस्ताव दिया है, उसके मुताबिक वो जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करना चाहती है। सरकार का तर्क है कि बैंकों में जो ब्याज मिलता है, उससे काफी ज्यादा पीएफ खाते में मिलता है।
लोन पर लगने वाली ब्याज दर को कम नहीं कर पा रहे बैंक
सरकार का कहना है कि पीएफ पर ब्याज को बैंक खातों में मिलने वाले ब्याज के समान करना होगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि इस वजह से बैंक भी लोन पर लगने वाली ब्याज दर को कम नहीं कर पा रहे हैं। अभी ईपीएफओ 8.65 फीसदी की दर ब्याज दे रहा है। अभी महंगाई दर तीन फीसदी के करीब है और बैंकों में बचत खाता में जो ब्याज मिलता है वो चार से लेकर छह फीसदी के बीच है।
आय से ज्यादा खर्च
2016-17 के लिए ईपीएफओ के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऑडिट खातों में आय से अधिक व्यय दर्ज है। हालांकि, यह डाटा विशिष्ट विवरण नहीं देता है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, हम पहले भी सरप्लस फंड को लेकर श्रम मंत्रालय के सामने सवाल उठा चुके हैं। अधिकारी का कहना है कि यदि ईपीएफओ डिफॉल्ट करता है तो ग्राहकों को भुगतान की जिम्मेदारी सरकार के पास होगी। ईपीएफओ के पास कुल 8 लाख करोड़ रुपये का फंड है।