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एसईजेड में वैकल्पिक निवेश कोष ट्रस्ट से निवेश हो सकेगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 26 2019 5:01PM | Updated Date: Jun 26 2019 5:01PM
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नई दिल्ली। विशेष आर्थिक प्रक्षेत्रों (एसईजेड) में वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) ट्रस्ट के माध्यम से निवेश आकर्षित करने के लिए उद्देश्य से सरकार ने लोकसभा में बुधवार को विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेने वाले इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि निर्यातोन्मुखी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए देश में विभिन्न स्थानों पर विशेष आर्थिक प्रक्षेत्रों की स्थापना की गयी है, जहां कंपनियां उद्योग स्थापित करके विदेशों से बिना शुल्क दिये मशीनरी एवं कच्चा माल लाकर कम लागत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी उत्पाद तैयार कर सकें और उनको निर्यात किया जा सके।

गोयल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा आरंभ की गयी इस व्यवस्था का कानूनी ढांचा 2005 में बनाया गया था। इसमें निवेश के पारंपरिक तरीकों को ही अनुमति दी गयी थी। हिन्दू अविभाजित परिवार, प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड आदि प्रकार से कंपनियां काम करती रहीं हैं। उन्होंने कहा कि 2005 के विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र अधिनियम के अनुच्छेद पांच धारा दो में संशोधन के लिए विधेयक को लाया गया है।

उन्होंने कहा कि इस संशोधन के माध्यम से एसईजेड में दुनिया में नये चलन के हिसाब से वैकल्पिक निवेश कोष ट्रस्ट के माध्यम से निवेश करने का रास्ता खोला जा रहा है। इसके अलावा भी यदि भविष्य में कोई नया निवेश मॉडल आता है तो उसे मात्र अधिसूचित करके मान्यता दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में एआईएफ में विभिन्न पेंशन कोष, बीमा कोष आदि मिलकर एक ट्रस्ट बनाकर एकसाथ निवेश करते हैं। सरकार चाहती है कि दुनिया के इस नये चलन को भारत में भी मान्यता मिले और निवेश भी आये।

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि भारत में भी न्यूयॉर्क, लंदन, सिंगापुर, हांगकांग की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केन्द्र विकसित हों। मुंबई के अलावा गुजरात एवं हरियाणा में ऐसे केन्द्र विकसित करने के प्रस्ताव हैं। उन्होंने कहा कि भारत को पुराने विचार के साथ नये विचार को भी तेजी से अपनाना होगा। सेबी और रिजर्व बैंक से इसे मंजूरी मिल चुकी है। इससे पहले रिवोल्शूनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने अध्यादेश को वापस लेने का संकल्प पेश किया।

 
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