नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने श्रम नियमों में ढील और रोजगार सृजन के लिए राष्ट्रीय रोजगार बोर्ड बनाने की मांग की है। परिसंघ ने रविवार को कहा ‘‘उद्योग ‘रखो और हटाओ’ की नीति की वकालत नहीं करता है, लेकिन मौजूदा से कहीं ज्यादा लचीले श्रम नियमों की जरूरत है जिससे भारत वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का मुकाबला कर सके।’’ उसने रोजगार सृजन के लिए वृहद राष्ट्रीय रोजगार मिशन बनाने तथा सभी राज्यों को शामिल करते हुये अंतरमंत्रालयी राष्ट्रीय रोजगार बोर्ड के गठन की सलाह दी है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बजर्नी ने कहा कि रोजगार सृजन के कई आयाम हैं और राष्ट्रीय मिशन को उन सभी पर ध्यान देना है।
इसमें नौकरी पर रखने, कर छूट, शिक्षा एवं कौशल विकास आदि के मुद्दे पर लचीलेपन तथा श्रमसाध्य क्षेत्रों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उद्योग संगठन ने राज्यों से सीमित अवधि के रोजगार को नीति का हिस्सा बनाने, आयकर की धारा 80जेजेएए के तहत कर लाभ का फायदा किसी भी सेक्टर में 50 हजार रुपये तक कमाने वालों को देने, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना का लाभ उठाने के लिए अधिकतम वेतन सीमा 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये करने, ज्यादा संख्या में कर्मचारियों की औपचारिक नियुक्ति करने वाली कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट कर में छूट और कौशल को बढ़ावा देने के लिए कौशल वाउचर और कौशल वॉलिट जारी करने की अपील की है।
उसने राष्ट्रीय रोजगार बोर्ड बनाने की भी सलाह दी है तथा कहा है कि इसमें प्रमुख मंत्रालयों के मंत्री, राज्य सरकारों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों तथा अन्य हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिये। उसने कहा है कि केंद्र सरकार को न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार होना चाहिये, लेकिन किसी भी सूरत में यह केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन से कम नहीं होन चाहिये।