नई दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र में चल रही गलाकट प्रतिस्पर्धा के कारण उद्योगपति अनिल अंबानी की भारी आर्थिक संकट में फंसी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ग्रुप ने अपनी कुछ टेलीकॉम संपत्तियों को अरबपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो को बेचने का समाप्त कर दिया है और आर कॉम के ऋण का निपटान राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के जरिये ही होगा। आर कॉम समूह ने सोमवार को यहां बताया कि आपसी सहमति से इस सौदे को रद्द किया गया है।
उसने कहा है कि सौदे की शर्तों के अनुरूप इसके पूरा नहीं होने के कारण इसे रद्द किया गया है। करीब 15 महीने में भी सौदे पूरे नहीं हो सके हैं। उसने कहा कि आर कॉम को उसके 40 देशी-विदेशी ऋणदाताओं से अब तक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है। इसके लिए 45 बैठकें हुई है। दूरसंचार विभाग ने भी अब तक अनुमति नहीं दी है। उसने कहा कि गत एक फरवरी को कंपनी के बोर्ड की हुई बैठक में सभी ऋण का निपटान एनसीएलटी से कराने का निर्णय लिया गया था और इसके लिए चार फरवरी 2019 को मुंबई में एनसीएलटी से अपील की जा चुकी है।
एनसीएलटी ने कंपनी की सभी चल-अचल संपत्तियों की बिक्री या हस्तांतरण पर रोक लगा दी है। अब एनसीएलटी में अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी। उल्लेखनीय है कि अनिल अंबानी की आर कॉम समूह की कंपनियों- आर कॉम, आरटीएल और आरआईटीएल- ने मुकेश अंबानी की दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो को अपनी संपत्ति बेचने के लिए 28 दिसंबर 2017 और 11 अगस्त 2018 को दो करार किये थे।