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भारतीय रेलवे निजी ऑपरेटरों को देगी यात्री गाड़ियां

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 18 2019 6:02PM | Updated Date: Jan 18 2019 6:03PM
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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने मालवहन के साथ ही अब यात्री परिवहन को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने पर विचार आरंभ कर दिया है। इसके तहत निजी आपरेटरों को ट्रेनों के परिचालन, उनका किराया तय करने, निजी टर्मिनल बनाने और अन्य सभी यात्री सुविधाएं सुलभ कराने का प्रस्ताव है।
 
रेलवे बोर्ड के तहत परिवहन शोध एवं प्रबंधन केन्द्र (सीट्राम) द्वारा भारतीय रेलवे के बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) गिरीश पिल्लै ने कहा - रेलवे के विशेषज्ञ एवं उच्च अधिकारी इस बात पर विचार करें कि क्या हम निजी ऑपेरटरों को गाड़ियों के परिचालन की अनुमति दे सकते हैं। 
 
क्या हम निजी यात्री टर्मिनल के निर्माण, गाड़ियों के परिचालन का विनियमन करने और किराया तय करने की इजाजÞत दे सकते हैं। हमें रेलवे के मालवहन क्षेत्र में और यात्री परिवहन  क्षेत्र को अलग-अलग करने तथा रेलवे के ग्राहकों को साथ लेने की जरूरत है  और इसके लिए उनकी भागीदारी बढ़ाने के उपायों के बारे में भी सोचना होगा।
 
पिल्लै ने कहा कि रेल यात्री सेवा क्षेत्र घाटे का सौदा है। चंद ट्रेन ही मुनाफा कमा पा रहीं हैं। बाकी सब घाटे में चल रहीं हैं। गैर उपनगरीय यात्रियों में केवल 15 प्रतिशत यात्री आरक्षित श्रेणियों में यात्रा करते हैं जिसमें करीब पांच प्रतिशत उच्च श्रेणियों में तथा 10 से ग्यारह प्रतिशत स्लीपर श्रेणी में चलते हैं तथा बाकी सब अनारक्षित श्रेणियों में चलते हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे के मालभाड़े एवं किराये के निर्धारण में बदलाव की जरूरत है और इसमें लचीलापन लाने की आवश्यकता है। 
 
उन्होंने कहा कि मालवहन क्षेत्र में निजी क्षेत्र को निवेश की अनुमति दी गयी है। देश में करीब 50 निजी फ्रेट टर्मिनल बनाये गये हैं जो क्षमता को देखते हुए बहुत कम हैं और कोशिश करनी होगी कि इनकी संख्या बढ़े। उन्होंने कहा कि देश में वैगन एवं कंटेनरों में निजी भागीदारी बढ़ाने की भी जरूरत है। अमेरिका में केवल 25 प्रतिशत वैगन/कंटेनर रेल ऑपरेटरों के पास हैं, बाकी 75 प्रतिशत उद्योगों एवं निजी कारोबारियों के स्वामित्व में हैं। रूस में वैगन/कंटेनरों का स्वामित्व सरकार के पास बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा, हमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को परस्पर लाभप्रद बनाना है।
 
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