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नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में माना- मैगी नूडल्स में था ज्यादा सीसा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 4 2019 11:35AM | Updated Date: Jan 4 2019 11:42AM
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नई दिल्ली। वैश्विक फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद मैगी में लेड की मात्रा थी। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने इस बात को स्वीकार किया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले में सुनवाई की और साफ कहा कि मैगी के नमूनों के बारे में मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान की रिपोर्ट पूरी कार्रवाई का आधार मानी जाएगी। 
 
बढ़ेगा मामला
कोर्ट में मामले की चल रही सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों की इस स्वीकारोक्ति से सरकार बनाम नेस्ले की लड़ाई एक बार फिर जोर पकड़ेगी। कोर्ट ने मैगी में लेड की मात्रा को लेकर एनसीडीआरसी द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर सुनवाई की।  स्वास्थ्य सुरक्षा के मानदंडों को पूरा न कर पाने पर पिछले साल 550 टन मैगी को नष्ट कर दिया गया था। इसके अलावा, सरकार ने मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ रुपए की भी मांग की थी।
 
जज ने पूछा-क्यों खाना चाहिए मैगी?
सुप्रीम कोर्ट के जज ने नेस्ले के वकील से कहा उन्हें लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए? उन्होंने पहले तर्क दिया था कि मैगी में लेड की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगी में लेड था। फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, अगर प्रोडक्ट में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) का इस्तेमाल किया गया है तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है। एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं।
 
यह है मामला
- 2015 में मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए।
- उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच कराई तो मैगी में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा मिली।
- भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी मैगी के सभी वर्जंस को असुरक्षित बताते हुए कंपनी को इसके प्रोडक्शन एवं बिक्री पर रोक लगा दी।
- एफएसएसएआई ने उस समय कहा था कि नेस्ले ने अपने उत्पाद पर मंजूरी लिए बिना और जोखिम-सुरक्षा आंकलन को मैगी ओट्स मसाला नूडल्स मार्केट में उतार दिया था जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह अवैध है।
 
ज्यादा लैड से नुकसान
डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादा मात्रा में लेड का सेवन गंभीर दिक्कतें पैदा कर सकता है। इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, खून के प्रवाह में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है। लेड का ज्यादा सेवन बच्चों के लिए खतरनाक है। उनके विकास में रुकावट आ सकती है, पेट दर्द, नर्व डैमेज व अन्य अंगों को नुकसान हो सकता है।
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