रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। इंदौर जिले की नौ विधानसभाओं में हुए 1993 से 2013 तक के पांच विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां दो नंबर ऐसी विधानसभा है, जहां जीत का अंतर 20 प्रतिशत से ज्यादा ही रहा है। वहीं, शहर की प्रतिष्ठित विधानसभा क्रमांक तीन और आंबेडकर नगर महू ऐसी विधानसभा है, जहां अंतर 12 से कम प्रतिशत का रहा है। अभी तक हुए चुनावों में 2013 में रमेश मेंदोला के नाम सबसे बड़े अंतर की जीत का रिकॉर्ड है तो सांवेर विधानसभा में प्रकाश सोनकर 1993 में सबसे कम, यानी मात्र 134 वोटों से जीत हासिल कर पाए थे।
दो नंबर विधानसभा का पिछले पांच चुनावों का रिकॉर्ड देखें तो यहां सभी में भाजपा का ही कब्जा रहा है। पिछली दो बार से यहां से रमेश मेंदोला विधायक चुने जा रहे है तो उससे पहले के तीन चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय ने जीत हासिल की थी। 2013 के चुनावों में रमेश मेंदोला ने रिकॉर्ड 91017 वोटों से जीत हासिल कर जिले में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड कायम किया।
उनकी जीत का मार्जिन कुल वोटों के 50 प्रतिशत से ज्यादा का रहा है। इससे पहले भी इस विधानसभा में जीत का मार्जिन जिले में सबसे ज्यादा रहा है। 1993 में 20.31 प्रतिशत, 2003 में 24.90 प्रतिशत और 2008 में यह 33.47 प्रतिशत रहा। केवल 1998 में यह 20 से थोड़ा कम, यानी 18.49 प्रतिशत था।
तीन बार अश्विन के नाम रही विधानसभा
तीन इस बार शहर की विधानसभा तीन सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित चुनाव मानी जा रही है। यहां इतिहास भी रोचक रहा है। यहां पिछले चार विधानसभा चुनावों में जीत का अंतर कभी भी 11 प्रतिशत से ज्यादा नहीं गया है। पिछली बार भाजपा की उषा ठाकुर 10.59 प्रतिशत, यानी 13318 वोट से विजयी हुई थीं। इससे पहले तीन बार कांग्रेस के अश्विन जोशी के नाम ये सीट रही, लेकिन उनकी जीत का अंतर हमेशा 10 से कम प्रतिशत का रहा। 2008 में तो वह मात्र 0.42 प्रतिशत, यानी 402 वोट से जीत पाए तो 2003 में उनकी जीत का अंतर 4962 वोट और 1998 में 3120 वोट रहा है। 1993 में जरूर भाजपा के गोपीकृष्ण नेमा की जीत का अंतर 18.12 प्रतिशत रहा था।
महू में साढ़े 11 प्रतिशत से कम ही रहा जीत का मार्जिन
ऐसी ही स्थिति आंबेडकर नगर, महू की रही है। यहां 1993 से पिछले पांच विधानसभा चुनावों में जीत का मार्जिन अधिकतम 11.47 रहा है। ये स्थिति भी 1998 में थी, जब कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार ने जीत हासिल की थी। उससे पहले 2003 में वे मात्र 2.70 प्रतिशत के मार्जिन से चुनाव जीते थे। पिछले दो चुनावों से यहां भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय जीते थे, लेकिन उनकी जीत का अंतर 2013 में 7.14 प्रतिशत और 2008 में 7.51 प्रतिशत रहा। 1993 में भाजपा के भेरूलाल पाटीदार की जीत का अंतर भी 3.25 प्रतिशत था। वे मात्र 2621 वोट से विजयी हुए थे।
विधानसभा पांच में हार्डिया तीन बार से हैं विधायक
इंदौर शहर की विधानसभा क्रमांक पांच का इतिहास भी ऐसा ही रहा है। यहां भी जीत-हार का अंतर 11 से कम ही रहा है। पिछले तीन बार से यहां भाजपा के महेंद्र हार्डिया जीत हासिल कर रहे हैं, लेकिन जीत का अंतर पिछली बार 7.05 प्रतिशत और 2008 में 4.16 प्रतिशत रहा है। 2003 में वे 22998 वोट से जीते थे। इससे पहले कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल और उससे पहले भाजपा के भंवरसिंह शेखावत की जीत का अंतर क्रमश: 7.77 और 11.08 प्रतिशत रहा था। यहां वोटर्स की संख्या ज्यादा होने से वोट का अंतर ज्यादा रहा है।