वॉशिंगटन/पेरिस। विकासशील देशों में जहां एक तरफ जन्म दर बढ़ रही है, वहीं दर्जनों अमीर देशों में महिलाएं पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं कर पा रही हैं, जिससे कि वहां का जनसंख्या स्तर बरकरार रहे। रिलीज हुए आंकड़ों से यह बात सामने आई है। दुनियाभर के देशों में जन्म, मृत्यु और बीमारी की दर से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण से एक चिंताजनक तस्वीर भी उभरी है। दरअसल, दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौत अगर किसी एक बीमारी से हो रही है तो वह है हृदय रोग।
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी द्वारा स्थापित द इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्युएशन (आईएचएमई) ने ग्लोबल पब्लिक हेल्थ का विस्तृत अध्ययन करने के लिए 8,000 से ज्यादा डेटा स्रोतों का इस्तेमाल किया। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि जहां 1950 से 2017 के बीच दुनिया की आबादी बहुत ही तेजी से बढ़ी। 1950 में जहां दुनिया की आबादी 2.6 अरब थी, वह 2017 में बढ़कर 7.6 अरब हो गई। जनसंख्या में यह वृद्धि क्षेत्रवार और आय के अनुसार बहुत अलग है।
कुछ देशों में बेबी बूम, कहीं संकट
आईएचएमई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर मरे ने बताया, इन आंकड़ों से पता चलता है कि जहां कुछ देशों में बेबी बूम जैसे हालात हैं, वहीं कुछ अन्य देशों में बेबी संकट जैसे हालात हैं। आईएचएमई में हेल्थ मेट्रिक्स साइंसेज के प्रफेसर अली मोकदाद के मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर को निर्धारित करने वाला अगर कोई इकलौता सबसे अहम कारक है, तो वह है शिक्षा। उन्होंने बताया कि एक महिला जितनी अधिक शिक्षित होगी, वह उतना ही ज्यादा स्कूल-कॉलेज में समय बिताई होगी। इस तरह वह देर से गर्भवती होगी और उसके बच्चे भी कम होंगे।
साइप्रस सबसे कम उर्बर देश
आईएचएमई ने पाया कि साइप्रस धरती पर सबसे कम उर्बर देश है, जहां औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बच्चे को जन्म देती है। इसके उलट, माली, चाड और अफगानिस्तान जैसे कुछ देशों में औसतन एक महिला 6 से ज्यादा बच्चों को जन्म देती है। अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि जिन देशों में लोग आर्थिक तौर पर बेहतर हैं, वहां बच्चों के जन्म होने की दर में गिरावट देखी जा रही है। प्रोफेसर अली मोकदाद बताते हैं, एशिया और अफ्रीका में जनसंख्या अभी भी बढ़ रही हैं और लोग गरीबी से बाहर निकलकर बेहतर आय वर्ग में शामिल हो रहे हैं। जिन देशों में बेहतर आर्थिक विकास की उम्मीद है, वहां जन्म दर में भी गिरावट देखने को मिलेगी। 'द लैंसेट' मेडिकल जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन दिखाता है कि पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी हुई है।
नाइजीरिया में एक महिला, सात बच्चे
आंकड़ों से जाहिर होता है कि दुनिया के करीब आधे देश 'बेबी संकट' से जूझ रहे हैं, जहां जन्म दर जनसंख्या के स्तर को बरकरार रखने के लिए नाकाफी है। 195 देशों में से 91 देशों- मुख्यत: यूरोप और उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के देशों में, उतने बच्चे नहीं पैदा हो रहे हैं जो मौजूदा आबादी को बरकरार रखने में सक्षम हो। इन देशों में जन्म दर औसत वैश्विक जन्म दर से नीचे है। दूसरी तरफ अफ्रीका और एशिया में फर्टिलिटी रेट का बढ़ना जारी है। उदाहरण के तौर पर, नाइजीरिया में औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में 7 बच्चे पैदा करती है।