नई दिल्ली। सफर के दौरान सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली-मुंबई के 30 फीसदी राष्ट्रीय राजमार्ग सुरक्षित नहीं हैं। इस बात का खुलासा एक स्टडी में हुआ है। यह स्टडी वर्ल्ड बैंक और नेशनल हाइवेज अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआई) समेत कई एजेंसियों ने कराई है। इसके अनुसार दिल्ली-मुंबई के करीब 30 फीसदी राष्ट्रीय राजमार्ग कार, बस और ट्रक के लिए सुरक्षित नहीं हैं।
इसमें मुंबई-चेन्नई गोल्डन क्वैड्रिलैटरल के आधे से ज्यादा भाग को सुरक्षित नहीं पाया गया है। स्टडी में दुर्घटनाओं की संभावनाओं और गंभीरता को पैमाना बनाया गया था। इसमें पाया गया कि एनएच के ये भाग मोटरसाइकिल सवारों, पैदलयात्रियों और साइकिल सवारों तक के लिए भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि उन लोगों के लिए इन मार्गों पर कोई सुविधा नहीं है।
इस तरह दी गई रेटिंग
वर्ल्ड बैंक के ग्लोबल रोड सेफ्टी, इंटरनेशनल रोड असेसमेंट प्रोग्राम (आईरैप) और एनएचएआई ने दो एनएच कॉरिडोर का सेफ्टी असेसमेंट और स्टार रेटिंग की है। इन दोनों कॉरिडोर को दुनिया भर की क्रैश स्टडीज के आधार पर एक से पांच स्टार तक रेटिंग दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 5,431 किलोमीटर लंबे इन दोनों कॉरिडोर के सिर्फ 40 किलोमीटर हिस्से को 5 स्टार रेटिंग मिली है। 245 किलोमीटर हिस्से को 4 स्टार रेटिंग मिली है। दोनों राजमार्ग के नेटवर्क के करीब 55 फीसदी हिस्से को 3 स्टार रेटिंग दी गई है जिसका मतलब है कि कुछ हद तक ये मार्ग सुरक्षित हैं। दोनों कॉरिडोर के बाकी 39 फीसदी हिस्से को 1 या 2 स्टार रेटिंग मिली है जिसका मतलब है कि वे सड़क यात्रियों के लिए पूरी तरह असुरक्षित हैं।
दिल्ली-मुंबई नेटवर्क का 54 फीसदी हिस्सा असुरक्षित
स्टडी के मुताबिक, गोल्डन क्वैड्रिलैटरल के दिल्ली-मुंबई नेटवर्क के करीब 824 किलोमीटर हिस्से को उस स्थिति में 1 या 2 स्टार रेटिंग दी गई है जब रफ्तार की अधिकतम सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटा हो। अगर अधिकतम रफ्तार की सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा हो तो 2,795 किलोमीटर लंबाई वाले इस नेटवर्क का कमोबेश 1,517 किलोमीटर यानी 54 फीसदी हिस्सा असुरक्षित श्रेणी में आ जाएगा।
ध्यान रहे कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल अप्रैल में अधिकतम रफ्तार सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित किया था। सड़कों को लेकर आईरैप का सुझाव है कि कम से कम केंद्र और राज्य सरकारें सभी सड़कों की स्थिति में सुधार लाकर इसे 3 स्टार रेटिंग पाने लायक बना सकती है। उनका कहना है कि वैसे तो कम खर्च में भी राजमार्गों को 5 स्टार रेटिंग के योग्य बनाया जा सकता है लेकिन यथार्थवादी कदम होगा कि कम से कम 3 स्टार रेटिंग के लायक सड़कों को बनाया जाए।
सड़क हादसों में 36 फीसदी मौतें नेशनल हाईवे पर
हालांकि देश में कुल रोड नेटवर्क का सिर्फ 2 फीसदी ही राष्ट्रीय राजमार्ग हैं लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली मौतों को देखते हुए यह रिपोर्ट अहम है। सड़क हादसे में होने वाली कुल मौतों में से करीब 36 फीसदी राष्ट्रीय राजमार्गों पर होती हैं। 2017 में करीब 52,000 लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क हादसों में अपनी जानें गंवाईं जबकि करीब 40,000 लोगों की मौत स्टेट हाइवेज पर हुई।