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एडल्टरी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी - व्यभिचार में मर्द ही अपराधी क्यों, महिला क्यों नहीं?

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 3 2018 12:05PM | Updated Date: Aug 3 2018 12:05PM
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नई दिल्ली। व्यभिचार (एडल्टरी) को अपराध की श्रेणी में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि इसके लिए दोनों पक्ष समान रूप से जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई विवाहित महिला किसी विवाहित पुरुष से शारीरिक संबंध बनाती है तो सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों माना जाएगा, जबकि इसमें महिला भी बराबर की जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार प्रथम दृष्टया समानता के अधिकार का उल्लंघन लगता है।
 
धारा-497 की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह आईपीसी का एक अनोखा प्रावधान है जिसमें केवल एक पक्ष पुरुष को ही दोषी माना जाता है। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि अगर कोई विवाहित पुरुष किसी विवाहित महिला के पति की सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो वो अपराध नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि महिला पुरुष की चल संपत्ति है और उसी की मर्जी से कोई भी काम करे। कोर्ट ने कहा कि शादी की पवित्रता को बनाए रखना पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है। 
 
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