कोलंबो। भारत के पड़ोसी देशों में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश के तहत चीन लगातार छोटे देशों को कर्ज तले दबा रहा है। अपने इसी मकसद में आगे बढ़ते हुए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत के दक्षिण में स्थित देश श्री लंका के अंदर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए एक बार फिर 29.5 करोड़ डॉलर यानी 2026 करोड़ रुपए के कर्ज का प्रस्ताव दिया है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने अपने चुनावी क्षेत्र पोलरूवा में चीनी फंड से बनने वाले किडनी अस्पताल की नींव रखे जाने के दौरान आयोजित एक समारोह में इसकी घोषणा की। श्री लंका चीन के बेल्ड ऐंड रोड पहल का भी हिस्सा है। समारोह के दौरान सिरिसेना ने कहा, 'जब चीनी राजदूत इस समारोह की तारीख तय करने मेरे आवास पर आए तो उन्होंने बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मेरे लिए एक और तोहफा भेजा है।' सिरिसेना ने इसके आगे कहा, 'उन्होंने मुझे 2026 करोड़ रुपए तोहफे में दिए जिसका इस्तेमाल मैं अपनी पसंद के किसी भी प्रॉजेक्ट पर कर सकता हूं। मैं चीनी राजदूत को देश के सभी चुनावी क्षेत्र में घर बनाने से जुड़ा एक प्रस्ताव सौंपने वाला हूं।' हालांकि, सिरिसेना के इस बयान की पुष्टि के लिए चीनी दूतावास से संपर्क नहीं हो पाया है।
बता दें कि यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब श्री लंका में चीनी कंपनी की काफी आलोचना हो रही है। कंपनी पर आरोप है कि उसने बीते चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के चुनावी अभियान में आर्थिक मदद दी थी। बीते महीने न्यू यॉर्क टाइम्स ने खबर दी थी कि चाइना हार्बर इंजिनियरिंग कंपनी लिमिटेड (सीएचईसी) ने राजपक्षे के दूसरे राष्ट्रपति चुनाव के दौरान 76 लाख डॉलर की सहायता दी थी, लेकिन साल 2015 में हुए चुनावों में सिरिसेना को जीत मिली थी।
राजपक्षे, कोलंबो में चीनी दूतावास और सीएचईसी ने इन आरोपों का खंडन कर दिया है लेकिन सिरिसेना की गठबंधन सरकार ने बीते गुरुवार को न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर संसद में चर्चा रखी और साथ ही इस कथित फंडिंग की जांच के भी आदेश दिए। अपने कार्यकाल की शुरूआत में सिरिसेना ने राजपक्षे के कार्यकाल में शुरू हुए चीन के फंड से बन रहे कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को रद्द कर दिया। ये प्रॉजेक्ट्स भ्रष्टाचार, महंगाई और सरकारी प्रक्रियाओं को ताक पर रखने के आरोपों से घिरे थे। लेकिन एक साल के बाद ही सिरिसेना सरकार ने कुछ बदलावों के साथ चीनी प्रॉजेक्ट्स को दोबारा शुरू करने की मंजूरी दे दी।
श्रीलंका ने 26 सालों तक गृहयुद्ध झेला है। साल 2009 में जब यह गृहयुद्ध खत्म हुआ तब श्री लंका के पुनर्निर्माण के लिए सबसे पहले आगे वाले देशों में चीन भी शामिल था। चीन सरकार के कर्ज द्वारा समर्थित श्री लंका में कई प्रॉजेक्ट्स का विरोध हो रहा है। अमेरिका, भारत और जापान ने यह आशंका तक व्यक्त की है कि चीन श्री लंका का इस्तेमाल अपने सैन्य ठिकाने के तौर पर कर सकता है। हालांकि, श्री लंका और चीन दोनों ही सरकार ने इस आशंका को खारिज कर दिया है।